अट्ठाईस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में गर्भवती अपने शिशु के लिए बहुत सचेत हो जाती हैं। यह उनके लिए एक अद्भुत अहसास देने वाला समय होता है इस दौरान शिशु भी कई ऐसी प्रतिक्रियाएं देता है जिसे गर्भवती महसूस करती हैं और उन्हें ख़ुशी का अनुभव होता है। इस दौरान भी कई परिवर्तन नए होते हैं जिनके साथ कभी-कभी गर्भवती असहज हो जाती हैं। लेकिन उन्हें इन स्थितयों से निकलना जरुरी होता है।
गर्भावस्था के 28 सप्ताह में शिशु का विकास:
अट्ठाईस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में शिशु पलकें झपकाना प्रारंभ कर देता है साथ ही शिशु के आँखों की रौशनी भी इस दौरान बढ़ जाती है। गर्भ में अगर कोई रौशनी प्रवेश करती है तो शिशु उसे अनुभव कर लेता है। शिशु का छोटा सा मस्तिष्क अब अरबों न्यूरॉन्स विकसित करने लगता है। इस तरह से शिशु में यह परिवर्तन आता है जो पिछले सप्ताह से अलग होता है।
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इस सप्ताह का सबसे बड़ा परिवर्तन होता है शिशु की उपास्थियों से हड्डियाँ का विकसित होना। इस दौरान गर्भवती माँ और शिशु दोनों को कैल्शियम की आवश्यकता होती है। इसलिए जितना हो सके कैल्शियम युक्त आहार लें जिससे शिशु की हड्डियाँ मजबूत हों।
इस सप्ताह के दौरान शिशु की सभी इंद्रियों भी विकसित होने लगती है। इस दौरान शिशु आवाज पहचानने से लेकर आवाज सुनना सब कुछ अहसास करने लगता है और उस पर प्रतिक्रिया भी देने लगता है। यह भी इस दौरान होने वाला एक अहम् परिवर्तन है।
शिशु का आकार क्या है?:
अट्ठाईस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान होने वाले परिवर्तन में अहम् परिवर्तन शिशु का आकार भी होता है। अभी शिशु का आकार एक बैंगन लगभग होता है इस दौरान शिशु का वज़न लगभग 2.25 पाउंड होता है एवं शिशु की लंबाई लगभग 16 इंच होती है। इस दौरान शिशु का विकास बहुत तेजी से होता है अब वो समय करीब ही होता है जब शिशु जन्म लेगा तो शिशु के सभी अंग परिपक्व होने लगते हैं।
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सामान्य शारीरिक परिवर्तन:
अट्ठाईस सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में कई सामान्य शारीरिक परिवर्तन भी होते हैं जो हम नीचे देखेंगे:
पेट पर खिंचाव के निशान का दिखना:
गर्भवस्था के दौरान पेट बढ़ता है और इससे गर्भवती के पेट की त्वचा खिचाव के निशान आ जाते हैं ये निशान शिशु के जन्म के बाद भी रहते हैं। इन्हें पूर्णतः खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन इन्हें कम करना संभव है। यह एक ऐसा परिवर्तन है जो गर्भवती को न चाहते हुए भी अपनाना होता है।
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रात में नींद की कमी:
अट्ठाईस सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तनों में से यह भी एक परिवर्तन है। इस दौरान शिशु का विकास हो जाता है जिसकी वजह से गर्भवती को रात को सोने में असहज महसूस होता है। बार-बार बाथरूम जाना या अचानक से शिशु का लात मारना इस वजह से गर्भवती की नींद में व्यवधान उत्पन्न होता है।
पैरों में सूजन:
इस दौरान गर्भवती के पैरों में सूजन आ जाती है इसे एडिमा भी कहा जाता है, इसका कारण है पानी का जमा होने और वज़न बढ़ना। इस दौरान शरीर में कुछ आम बदलाव भी होते हैं जैसे गर्भवती के स्तनों से रिसाव होना और शरीर के निचले हिस्से की नसों में सूजन भी आ सकती है।
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गर्भावस्था के अट्ठाईस सप्ताह में दिखने वाले लक्षण:
अट्ठाईस सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई प्रकार के बदलाव दिखाई देते हैं जिनके कुछ लक्षण इस प्रकार होते हैं:
पेट में दर्द:
गर्भवती के पेट के निचले हिस्से में इस दौरान ऐंठन या तेज़ दर्द हो सकता है इसका कारण है कि बढ़ते हुए पेट में शिशु अपनी जगह बनाता है।
थकान:
इस सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान गर्भवती शरीर से थकान बहुत अहिक होती है इस दौरान गर्भवती का शरीर आराम माँगता है। थकान से बचने के लिए गर्भवती को पौष्टिक आहार खाना चाहिए और सक्रिय रहने के लिए टहलना चाहिए।
पीठ दर्द:
इस दौरान गर्भवती का पेट बढ़ता है जिसके कारण रीढ़ या कमर पर दबाव अधिक पड़ता है, और इस वजह से पीठ में दर्द होना बहुत स्वाभाविक है। पीठ के दबाव को कम करने के लिए गर्भवती को पैरों को ऊपर रखना चाहिए साथ ही पीठ के पीछे तकिया लगाकर बैठना चाहिए।
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रेस्ट लेस लेग सिंड्रोम:
इस दौरान गर्भवती महिलाओं को शरीर के निचले अंगों में सनसनी महसूस हो सकती है, ऐसे में उन्हें टाँगें हिलाते रहने का इच्छा मन करता है। इसे रेस्टलेस लेग सिंड्रोम कहते हैं इससे राहत पाने के लिए पैरों की मालिश करवाएं है या आप डॉक्टर से सलाह लें।
प्रीक्लेम्पसिया (प्राकगर्भाक्षेपक):
इस सप्ताह के दौरान जिन महिलाओं का उच्च रक्तचाप होता है उन्हें यह समस्या होती है। प्रीक्लेम्पसिया के कारण गर्भवती के चेहरे पर अधिक सूजन आती है, आँखों के आसपास भी सूजन रहती है, वज़न बहुत तेज़ी से बढ़ता है, सिरदर्द, मतली या उल्टी होती है। अधिक समस्या होने पर डॉक्टर का परामर्श जरूर लें।
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अट्ठाईस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तनों में ये सभी परिवर्तन शामिल है जिसमें शिशु और गर्भवती माँ दोनों को ही कई परिवर्तन अनुभव होते हैं दोनों ही इस दौरान कई परिवर्तनों का अहसास करते हैं।