गर्भावस्था के दौरान हर सप्ताह हर महिना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है यहाँ हम देखेंगे कि गर्भवस्था के दूसरे महीने में शिशु का विकास कैसे होता है। दूसरा महिना बच्चे के लिए जितना महत्वपूर्ण होता है उतने ही परिवर्तन गर्भवती के शरीर में भी आते हैं। इस दौरान शिशु की रीड की हड्डी, नसें, नाख़ून सब कुछ बनने लगता है। जिससे माता के शरीर में भी परिवर्तन आता है और भी कई प्रकार से महिलाओं को समस्याएँ होती हैं जो बहुत ही स्वाभाविक होती हैं।
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गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु का विकास कैसे होता है:
- दूसरे महीने में बच्चे का आकार:
वैसे तो बच्चा कितना विकसित हुआ है यह आपके डॉक्टर आपको मशीन टेस्ट के जरिये आपको बता देते हैं लेकिन दूसरे महीने में शिशु का आकार जामुन के बराबर होता है और इसका वजन 1.13 ग्राम ही होता है। यह देखने में थोडा अजीब होता है इसे देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि यह गर्भ में एक इंसान की तरह रूप भी ले सकता है। तो इस तरह से गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु का विकास होता है।
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- शिशु गर्भ में हिलने लगता है:
जी हाँ शिशु दूसरे महीने में थोडा गर्भ में हिलने भी लगता है जो वाकई में माँ के लिए एक अलग अहसास होता है। माँ सोनोग्राफी के दौरान अपने शिशु को गर्भ में हिलता हुआ भी देख सकती है जो सच में अद्भुत होता है। माँ के लिए यह अहसास बहुत ही अलग और ख़ुशी भरा होता है। अपने बच्चे के दिल की धड़कन सुन पाना अपने बच्चे को देख पाना, उसका गर्भ में विकास देख पाना यह सब कल्पना जैसा ही होता है।
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- कौन कौन से अंग का विकास होता है:
गर्भवस्था के दूसरे महीने में शिशु का विकास अल्प रूप से ही होता है जिसमें शिशु के कई अंग विकसित होने लगते हैं जैसे उसके नाख़ून, कान के छेद, नाक के छेद, सर, नसे, रीड की हड्डी इत्यादि। यह विकास आराम आराम से होता है और एक महीने से दूसरे महीने इन भागों में परिवर्तन आने लगते हैं। बच्चे का वजन भी बढ़ने लगता है। और नौवे महीने में शिशु पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है।
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तो इस प्रकार से बच्चे का विकास होता है दूसरे महीने में बच्चा पहले महीने से ज्यादा पुष्ट हो जाता है और कई अंग विकसित हो जाते हैं। इस दौरान माता का वजन भी बढ़ने लगता है और माता को कई प्रकार की समस्याएँ आती है जैसे चक्कर आना, मितली आना, आँखों के सामने अँधेरा होना, उलटी होना, भूख कम लगना इत्यादि। ये सभी स्वाभाविक से परिवर्तन हैं जो माता में दिखाई देते हैं।