गर्भवस्था का तीसरा महिना जो शिशु और गर्भवती दोनों के लिए ही अहम् होता है। तो यहाँ हम देखेंगे तीसरे महीने की गर्भवस्था में शिशु कैसे होता है विकसित। यह हर गर्भवती अपने शिशु के बारे में जानना चाहती है और मशीन के जरिये यह पता लगाना आसान हो गया है कि बच्चे में कितना विकास हुआ है बच्चा किस तरह गर्भ में है और स्वथ्य है या नहीं। इस दौरान कई तरह के परिवर्तन गर्भवती एवं शिशु में आते हैं। साधारण तौर पर भी महिलाएँ यह जानना चाहती है। तो यहाँ हम सर्धारण परिवर्तनों के बारे में ही जानेंगे।
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तीसरे महीने की गर्भवस्था में शिशु कैसे होता है विकसित:
तीसरे महीने की गर्भवस्था में शिशु कैसे होता है विकसित, इसे जानने के लिए गर्भवती सबसे ज्यादा उत्सुक होती है। इस दौरान आने वाले परिवर्तन कुछ इस प्रकार हैं:
- इस दौरान शिशु की पलकें बनने लगती हैं।
- कंधे, घुटने, कुल्हे ये सभी साफ़ तौर पर नज़र आने लगता है।
- बच्चे का वजन लगभग 14 से 28 ग्राम का होता है।
- इस दौरान बच्चे के सभी अंग बन जाते हैं लेकिन उसका आकार छोटा ही रहता है।
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तीसरे महीने की गर्भवस्था में शिशु कैसे होता है विकसित यह तो हमने यहाँ देखा ही साथ ही हम ये भी जानेंगे कि गर्भवती को इस दौरान किस प्रकार की समस्याएँ होती हैं जिसे उनके अलावा कोई और अहसास नहीं कर सकता। जैसे:
बार बार पेशाब आना:
इस दौरान गभवती महिलाओं को बार बार पेशाब आने की समस्या होती है क्योंकि मूत्राशय पर दबाब पड़ता है। रक्त की मात्रा बढ़ने की वजह से गुर्दे पर भी इसका असर दिखाई देता है। यह समस्या हर गर्भवती महिला के सामने आती हैं।
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तनाव होना:
गर्भवस्था के दौरान तनाव होना भी बहुत स्वाभाविक है। इस दौरान महिलाओं का मूड स्विंग होता है जिसकी वजह से उन्हें तनाव या अवसाद रहने लगता है। इस समय महिलाओं को खुश रहना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि अगर वे इस दौरान खुश नहीं रहेंगी तो इस समय निकलना मुश्किल हो जाता है और इसका असर शिशु पर दिखाई देता है।
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चक्कर आना:
इस दौरान गर्भवती को स्वाभाविक तौर पर चक्कर आता है और महिलाओं की आँखों के सामने अँधेरा भी हो जाता है। यह मुख्यतः तब होता है जब गर्भवती अचानक से बैठ कर उठती हैं, या सो कर उठती हैं। इसका कारण है खून की कमी होना या पर्याप्त मात्र में आहार न लेना।
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तो ये कुछ परिवर्तन हैं जो तीसरे महीने में नज़र आते हैं शिशु में तो बदलाब आते ही हैं साथ ही साथ गर्भवती में भी कई बदलाब आते हैं जिनमें से कुछ प्रत्यक्ष होते हैं और कुछ अप्रत्यक्ष होते हैं।
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