गर्भवस्था एक ऐसा समय होता है जहाँ एक साथ दो जीवन कई परिवर्तनों और कई अहसासों का एक ही समय पर अनुभव करते हैं। इन अहसासों को गर्भवती माँ और शिशु ही समझ सकते हैं इनके अलावा कोई और इन्हें नहीं समझ सकता। आज हम यहाँ देखेंगे सातवें महीने की गर्भवस्था में कैसे होता है शिशु का विकास और गर्भवती में आने वाले परिवर्तन।
सातवें महीने की गर्भवती में आने वाले परिवर्तन:
सातवें महीने की गर्भवस्था में कैसे होता है शिशु के विकास के बारे में जानने से पहले हम यहाँ ये जानेंगे कि गर्भवती को इस दौरान किन परिवर्तानों से गुजरना पड़ता है।
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ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन:
जैसे-जैसे प्रसव का समय पास आता जाता है और गर्भवती सातवें महीने में प्रवेश करती हैं, वैसे-वैसे गर्भवती को ब्रेक्सटन हिक्स महसूस होने की सम्भावना होती हैं। ये हल्के-हल्के संकुचन हैं, जो लगभग 30 सेकंड से एक मिनट तक होते हैं। ब्रेक्सटन हिक्स को ‘फाल्स लेबर’ के नाम से भी जाना जाता है
योनि स्राव में वृद्धि:
गर्भावस्था के योनि स्राव का होना एक सामान्य सी बात है। यह संक्रमण के गर्भाशय तक जाने से रोकथाम करता है। जैसे जैसे समय बढ़ता है वैसे वैसे शिशु का सिर श्रोणि भाग पर अधिक दबाव डालना प्रारंभ कर देता है, और इस कारण से ही योनि स्त्राव होने लगता है। यह एक सामान्य लक्षण है, अगर इस स्राव से दुर्गंध आती है तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरुर लें।
स्तनों से रिसाव होना:
वैसे तो गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से ही स्तनों से रिसाव प्रारंभ हो जाता है। यह एक गाढ़ा एवं हल्के पीले रंग का पदार्थ होता है, इसे ‘कोलोस्ट्रम’ के नाम से भी जानते हैं। यह रिसाव कभी भी हो सकता है। जैसे-जैसे प्रसव का समय पास आता है यह रंगहीन होने लगता है और यह एक सामान्य प्रक्रिया है। यह जरूरी भी नहीं है कि ऐसा सबके साथ हो, लेकिन ऐसा होना संभव है।
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अपच:
गर्भावस्था में अपच हों स्वाभाविक है। इस समय अक्सर पेट का फूलना, छाती में जलन होना व जी-मिचलाना इत्यादि जैसा अहसास हो सकते है। यह परेशानियाँ तीसरी तिमाही में कुछ अधिक बढ़ जाती है। इसका कारण है कि जैसे जैसे शिशु का विकास होता है वैसे वैसे ही पाचन तंत्र पर असर होने लगता है और यह ठीक से काम नहीं कर पाता।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में शरीर में होने वाले बदलाव:
यह अब गर्भवती की अंतिम तिमाही का शुरूआती दौर होता है। इस समय तक गर्भवती का पेट और अधिक बढ़ जाता है और इस दौरान कई अन्य शारीरिक बदलाव भी देखने को मिलते हैं जैसे:
- सातवें महीने में गर्भवती का वजन बढ़ जाता है, यह गर्भावस्था का सामान्य परिवर्तन है। इस समय तक गर्भवती का वजन लगभग करीब पांच किलो या इससे थोडा और ज्यादा बढ़ सकता है। इसके साथ ही गर्भाशय बढ़ने की वजह से पेट पर खिंचाव के निशान भी दिखने लगते हैं।
- इस दौरान गर्भवती का गर्भाशय नाभि के बिल्कुल सीध में आ जाता है और कई बार सांस लेने में भी तकलीफ का अनुभव हो सकता है। गर्भाशय ऊपर आने के कारण कई बार सोने में भी तकलीफ महसूस होती है।
- पहले की तुलना में अब स्तन और बड़े हो जाते हैं। निप्पल के आसपास का रंग भी काफी गहरा हो जाता है।
- इस समय पर गर्भवती का पेट निरंतर बढ़ता जाता है, इस वजह से गर्भवती को चलने में और कई बार झुकने में भी समस्या का सामना करना पड़ता है।
- शरीर में इस दौरान तेज रक्त प्रवाह होता है और इस वजह से शरीर में सूजन आना भी संभव है जो एक सामान्य परिवर्तन है।
सातवें महीने की गर्भवस्था में कैसे होता है शिशु का विकास:
सातवें महीने की गर्भवस्था में कैसे होता है शिशु का विकास यह जानने के लिए गर्भवती उत्सुक होती है तो हम अभी इसके बारे में ही जानेंगे।
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- गर्भावस्था के इस महीने तक शिशु का बहुत ज्यादा विकास हो जाता है। शिशु के कई अंग विकसित हो जाते हैं।
- इस दौरान शिशु बाहर की आवाजों पर भीकी तरह से प्रतिक्रिया भी देने लगता है और जम्हाइयां भी लेने लगता है।
- इस महीने शिशु की पलकें और भौं दोनों ही पूर्ण रूप से आ जाती हैं।
- इस महीने शिशु आँखें खोलने में भी सक्षम हो जाता है और बंद करने में भी।
- सातवें महीने के अंतिम पड़ाव में शिशु 14 इंच लंबा हो जाता है और इस दौरान शिशु का वजन एक किलो के लगभग हो सकता है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में देखभाल:
सातवें महीने की गर्भवस्था में कैसे होता है शिशु का विकास ये तो हम देख ही चुके अब हम जानेगे इस दौरान देखभाल कैसे करना चाहिए। इस आखिरी तिमाही के दौरान गर्भवती और शिशु को खास देखभाल की आवश्यकता होती है। गर्भवती की जीवनशैली कैसी है, और गर्भवती इस दौरान क्या खा रही हैं ये सभी चीज़ें गर्भावस्था पर प्रभाव डालती है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में क्या खाएं:
गर्भावस्था के सातवें महीने में गर्भवती को अपने आहार का विशेष ध्यान जरुरी है। इस दौरान गार्भ्वती जो भी आहार लें पौष्टिक आहार लें, ताकि गर्भवती और शिशु को पूर्णतः पोषण मिले। चलिए जानते हैं इस दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं:
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आयरन युक्त खाद्य:
गर्भवस्था के दौरान गर्भवती में कई बार खून की कमी हो जाती है खून की कमी से बचने के लिए गर्भवती को भरपूर मात्रा में आयरन युक्त आहार लेना चाहिए।
कैल्शियम युक्त भोजन:
गर्भावस्था के दौरान शिशु के विकास के लिए कैल्शियम आवश्यक है। खासतौर से सातवें महीने से। वैसे तो सामान्यतः इस दौरान अतिरिक्त कैल्शियम की आवश्यकता नहीं होती।
मैग्नीशियम युक्त आहार:
मैग्नीशियम, कैल्शियम को अवशोषित करने में सहायक होता है। साथ ही इससे पैरों में होने वाली ऐंठन से भी राहत मिलती है।
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डीएचए से भरपूर खाना:
डीएचए फैटी एसिड है, एवं यह शिशु के दिमागी विकास के लिए बहत ही आवश्यक होता है। इसमें आप मछली, संतरे का जूस, दूध व अंडा खा सकती हैं।
फोलिक एसिड:
शिशु के रीढ़ की हड्डी एवं शिशु के दिमागी विकास के लिए फोलिक एसिड बहुत आवश्यक होता है। डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं।
सातवें महीने की गर्भवस्था में कैसे होता है शिशु का विकास के साथ यहाँ ये भी जाना कि गर्भवती को कैसे करना चाहिए स्वयं की देखभाल और इस दौरान क्या परिवर्तन आते हैं।
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