गर्भावस्था के नौ महीनों का महत्व सिर्फ एक गर्भवती महिला ही समझ सकती है इसके अलावा अन्य किसी के लिए इसे समझना बहुत कठिन है। यहाँ हम गर्भावस्था के पाँचवे महीने में कैसे होता है शिशु का विकास एवं अन्य परिवर्तनों के बारे में जानेंगे। इस महीने का सफ़र तय करते करते गर्भवती की त्वचा खिल उठती है और गर्भावस्था का रूप भी गर्भवती के चेहरे से झलकने लगता है। गर्भावस्था का समय बढ़ने के साथ ही साथ शरीर में कई बदलाव भी आते हैं। जैसे गर्भ में शिशु का विकास होने के साथ पेट भी बढ़ने लगता है, और वहीं कुछ शारीरिक परेशानियाँ भी आती रहती हैं।
इसे भी पढ़ें: जानिए कैसे होता है गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु का विकास
पाँचवे महीने में कैसे होता है शिशु का विकास और अन्य परिवर्तन:
गर्भावस्था के हर महीने एवं हर सप्ताह में कुछ न कुछ लक्षण समान होते हैं, तो कई बार नए लक्षण देखने को मिलते हैं। तो चलिए जानते हैं पाँचवे महीने में कैसे होता है शिशु का विकास एवं अन्य परिवर्तन के बारे में।
1. थकान होना:
गर्भावस्था के पाँचवे महीने में थकान एक बहुत ही साधारण लक्षण है जो हर गर्भवती को महसूस होता है। जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकास होगा उसका वजन बढ़ेगा वैसे ही वैसे गर्भवती को ज्यादा थकान महसूस होती है।
इसे भी पढ़ें: ग्यारहवें सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन
2. पीठ दर्द होना:
पाँचवे महीने में गर्भाशय में शिशु का आकार पिछले महीने की तुलना में बढ़ने के कारण अब गर्भवती को पीठ के निचले भाग में दर्द होने लगता है, यह बहुत आम लक्षण और समस्या है। अधिकतर गर्भवती महिलाएँ नौ महीने तक पीठ दर्द की समस्या से परेशान रहती हैं।
3. सिर दर्द होना:
वैसे तो गर्भावस्था के दौरान गैस और कब्ज होना एक आम समस्या है, और यही वजह है जिसके कारण सिर दर्द की शिकायत गर्भवती को अक्सर बनी रहती है।
इसे भी पढ़ें: जानिए तीसरे महीने की गर्भावस्था में शिशु कैसे होता है विकसित
4.नाखून कमजोर पड़ना:
गर्भवस्था की इस दौर में नाखूनों पर भी असर होता है है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती के नाखून पहले की तुलना में बहुत कमजोर हो जाते हैं और टूट भी जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में गर्भवती के नाखून मजबूत भी हो जाते हैं।
5. मसूड़ों से खून आना:
गर्भावस्था के पाँचवे महीने में कई गर्भवती को मसूड़ों से खून आने की होने लगती है। यह हार्मोनल बदलाव या विटामिन-के की कमी की वजह से होता है। यह बदलाब सभी में नहीं लेकिन कुछ महिलाओं में देखने को मिलता है।
इसे भी पढे़ं: सत्रह सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन
6. सांस लेने में तकलीफ होना:
गर्भवस्था के इस दौर में प्रोजेस्टरोन हार्मोन बढ़ जाते हैं जिस कारण अधिकतर गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। सांस लेने में तकलीफ होने की एक और वजह है वजन बढ़ना। गर्भ में अगर एक से अधिक शिशु होते हैं तो भी बढ़ते हुए गर्भाशय का जो प्रभाव है वह डायफ्राम पड़ता है और जिस वजह से यह समस्या शीघ्र शुरू हो जाती है।
7. योनि से सफेद पानी आना:
वैसे तो इस दौरान अधिकतर महिलाओं को योनि से सफेद स्राव आटाहै। यह दुर्गंध रहित सफेद व पिच्छिल (यह न ज्यादा गाढ़ा होता है न ज्यादा पतला) पदार्थ होता है, अगर खुजली या दर्द के लक्षण दीखते हैं, तो वह सामान्य योनि स्त्राव होता है।
इसे भी पढ़ें: उन्नीस सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन
8. भूलने की समस्या:
इस दौरान गर्भावस्था में आने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण मस्तिष्क पर कई प्रकार से असर पड़ता है, इसकी वजह से गर्भवती को कभी-कभी भूलने की समस्या से भी जूझना पड़ता है।
9. टखनों में सूजन आना और पैरों में दर्द होना:
गर्भावस्था के पाँचवे महीने में पैरों में दर्द होने एवं पैरों में सूजन आना स्वाभविक है। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु के पोषण के लिए गर्भवती के शरीर में रक्त ज्यादा बनता है इस दुरन अक्सर पैरों की नसें ब्लॉक भी हो जाती हैं, और इसी वजह से रक्त पैरों से हृदय तक पहुँच पाना संभव नहीं होता।
10. गैस व कब्ज रहना:
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई प्रकार के बदलाव होने से कब्ज हो सकती है, और इस वजह से गैस की समस्या भी होती है।
11. कभी-कभी चक्कर आना:
हर महीने और हर सप्ताह शिशु का विकास होता है और शिशु को इस दौरान पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्वों और आहार की जरूरत होती है। और इस दौरान गर्भवती को कई बार कमजोरी भी महसूस हो सकती है, जिस वजह से गर्भवती को चक्कर आते हैं।
12. नाक से खून आना:
गर्भावस्था के पाँचवे महीने में नकसीर आना या नाक से खून आना भी एक सामान्य बात है। ऐसा रक्त संचार बढ़ने के कारण है। यह एक बहुत सामान्य सा परिवर्तन है जो गर्भवती में देखने के लिए मिलता है।
बच्चे का आकार:
पाँचवे महीने में कैसे होता है शिशु का विकास में यह एक अहम् परिवर्तन है जहाँ शिशु पाँचवे महीने में 8 से 12 इंच के लगभग बड़ा हो जाता है। शिशु का वजन भी इस दौरान 300 से 450 ग्राम के लगभग होता है। शिशु की मांसपेशियां और हड्डियां भी अब धीरे-धीरे मजबूत होने लगती हैं।
शिशु की भौहें, पलकें, बरौनियां, कान, नाखून अब सब कुछ बन चुका होता हैं। शिशु के चेहरे की आकृति भी सामान्य हो जाती है। इस दौरान शिशु अपने चेहरे पर भावों को भी बदल सकता है, जो सच में हैरान करने वाली बात है। जैसे नाक सिकोड़ना। गर्भवती के सोने और जागने के अनुसार ही शिशु का भी सोने और जागने का निश्चित होता है।
पेट में हलचल करने लगता है शिशु:
शिशु इस समय शरीर को बहुत आराम से प्रयोग में लाता है, और उसे परखता है। और इस समय शिशु अपने शरीर को स्ट्रैच भी करता है, अंगडाई लेता है, जम्हाई लेता है, आंखें खोलने का प्रयास करता है, अंगूठा चूसता है और कभी-कभी लात भी मारता है। पाँचवे महीने में कैसे होता है शिशु का विकास में यह विकास महत्वपूर्ण हैं जिन्हें अक्सर देखा जाता है।