पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में बहुत से परिवर्तन पिछले सप्ताह जैसे ही होते हैं लेकिन कुछ परिवर्तन अलग भी हो सकते हैं। यह बहुत अहम् पड़ाव होता है जब गर्भवती को स्वयं का और शिशु का बहुत ज्यादा ध्यान रखना जरुरी है। इस दौरान गर्भवती को टहलना चाहिए, थोडा बहुत व्यायाम करना चाहिए मैडिटेशन करना चाहिए और इन सबके लिए किसी एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।
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गर्भावस्था के 25वें हफ्ते से तात्पर्य है कि गर्भावस्था की तीसरी तिमाही प्रारंभ हो चुकी हैं। कई बदलाब को पार करके शिशु और गर्भवती दोनों ही इस समय तक पहुँचते हैं। इस दौरान शिशु एवं गर्भवती में कई परिवर्तन देखने को मिलते हैं जिसे ये दोनों ही महसूस कर सकते हैं। आज यहाँ हम बात करने वाले हैं पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन के बारे में।
पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन:
- पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था में गर्भवती के शरीर में आने वाले परिवर्तन:
- इस दौरान गर्भवती के शरीर को कई बदलाब महसूस होते हैं जिनके साथ गर्भवती को आगे बढ़ना होता है। इस दौरान गर्भवती को अत्यधिक थकान महसूस होती है और कमजोरी भी महसूस होती है।
- शिशु के विकास के साथ ही गर्भवती का वजन भी बढ़ने लगता है।
- इस दौरान निप्पल का रंग भी ज्यादा गहरा होने लगता है साथ ही स्ट्रेच मार्क्स भी बढ़ने लगते हैं।
- इस दौरान शरीर में आने वाले बदलावों का असर गर्भवती के मानसिक सेहत पर भी होता है।
- शिशु में आने वाले परिवर्तन:
इस दौरान शिशु का विकास बहुत तेज़ी से हो रहा होता है। इस दौरान शिशु का वजन लगभग 700 ग्राम तक हो जाता है ऐसा भी हो सकता है शिशु का वजन थोडा आगे पीछे हो और शिशु का आकार लगभग एक बड़ी फूलगोभी के बराबर हो जाता है। इस दौरान शिशु कई प्रकार से प्रतिक्रिया देता है जैसे पेट में घूमना या लात मरना इत्यादि। गर्भवती को यह सब कई बार अचानक महसूस होता है। पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में से यह भी एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है।
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गर्भावस्था के 25वें सप्ताह में शिशु का विकास:
यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण और एक अद्भुत अनुभव देने वाला समय होता है इस दौरान गर्भवती को पेट में शिशु की एक एक हलचल का एहसास होता है और शिशु के बढ़ने का भी अहसास होता है। इस दौरान शिशु अपनी नई और बेहतर पकड़ से गर्भनाल को पकड़ने में सफल होता है। 25वें सप्ताह में शिशु अपना पहला मल भी त्याग करना प्रारंभ कर देता है। इसे मेकोनियम के नाम से जाना जाता है यह मल मोटा और गहरा होता है। पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में यह भी बहुत अहम् परिवर्तन हैं।
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शिशु का आकार:
इस दौरान गर्भवती को शिशु के आकार के बारे में जानने की काफी उत्सुकता होता हैं, इस समय शिशु का आकार लगभग 13.5 इंच होता है और शिशु का वजन लगभग 700 ग्राम या थोडा आगे पीछे होता है। इस अल्ट्रासाउंड के द्वारा देखा जा सकता है।
सामान्य शारीरिक परिवर्तन:
पच्चीस सप्ताह में शिशु तेजी से विकास कर रहा होता है और पेट के अंदर वह जगह लेता है। इसी के साथ गर्भवती का पेट भी बढ़ने लगता है जिसकी वजह से कई बार गर्भवती असहज महसूस करती हैं। वैसे शिशु के वज़न में हर सप्ताह लगभग एक पाउंड (0.45 किलोग्राम) की बढ़ोत्तरी होती है। पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में ये परिवर्तन भी स्वाभाविक हैं।
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गर्भावस्था के 25वें हफ्ते के अन्य लक्षण:
पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं जो कई बार पिछले सप्ताह की तरह ही होते हैं और कई बार उससे थोड़े अलग होते हैं। जैसे:
डिप्रेशन:
इस दौरान शरीर में कई परिवर्तन आते हैं और इस वजह से गर्भवती को उदासी या डिप्रेशन होना स्वाभाविक होता है। ऐसे कुछ दिनों से शरू होकर कुछ हफ्तों तक चलता है। इस दौरान गर्भवती को स्वयं को सम्हालना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि इसका असर सीधा शिशु की सेहत पर होता है। अगर डिप्रेशन या अवसाद ज्यादा है तो इसके लिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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थकान और नींद की कमी:
गर्भवस्था के दौरान थकान महसूस होना बहुत सामान्य बात है। इस समय कई बार गर्भवती को नींद आने में भी दिक्कत हो सकती है। या ऐसा भी होता है कि अत्यधिक नींद आये। इस दौरान पर्याप्त नींद लेना बहुत जरुरी होता है।
घने बाल:
इस सप्ताह गर्भवती महिलाओं के बाल काफी घने और लम्बे हो सकते हैं। इस दौरान हार्मोनल बदलाव अधिक होते हैं जिसके कारण ऐसा होना संभव है। यह केवल एक सम्भावना है जरुरी नहीं है कि ऐसा हो ही।
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त्वचा का पीलापन:
इस दौरान त्वचा का पीला पड़ना संभव है और ऐसा आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया के कारण हो सकता है। ऐसा गर्भवस्था में अक्सर होता है। अगर गर्भवती को ऐसे कोई भी संकेत दिखाई देते हैं तो इसका टेस्ट जरूर करवाएं और डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
पच्चीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में इस तरह के परिवर्तन अक्सर गर्भवती और शिशु में दिखाई देते हैं। इस समय गर्भवती अगर मैडिटेशन और हल्का व्यायाम करें, तो उनके और उनके शिशु के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन ऐसा करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह लेना बहुत आवश्यक है।