थाइरोइड के लिए योग द्वारा उपचार अब संभव है। आज के समय में कई लोग थाइरोइड की समस्या से जूझ रहे हैं और ढूंढ रहे हैं योग एक्सरसाइज। योग एक्सरसाइज से थाइरोइड में लोगों को बहुत फायदा हुआ है। और इसलिए ही लोग थाइरोइड के लिए योग उपचार को विशेष महत्व दे रहे हैं। वैसे थाइरोइड के दो प्रकार होते हैं:
हाइपर थाइरोइड
हाइपो थाइरोइड:
हाइपो थाइरोइड के कुछ विशेष लक्षण होते हैं जैसे दिनभर आलास आना, थकान महसूस होना, कब्ज की शिकायत होना, कम या नियमित खाने के बाद भी वजन का एकाएक बढ़ना, चेहरे में सूजन आना, बालों का अचानक गिरना, मासिक धर्म अनियमित होना इत्यादि। अगर आपको ये सभी लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको हाइपो थाइरोइड होने की सम्भावना है। ये सभी लक्षण दिखने पर आप हाइपो थाइरोइड की जांच जरूर कराएं।
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हाइपर थाइरोइड:
हाइपर थाइरोइड के भी कुछ विशेष लक्षण होते हैं जैसे अचानक भूख में परिवर्तन आना, अचानक दुबले- पतले हो जाता, नींद में परिवर्तन, पसीना बहुत ज्यादा आना, तनाव अधिक होना, घबराहट होना इत्यादि। अगर आपको अपने अंदर ये सभी लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो आपको हाइपर थाइरोइड हो सकता है इसकी जांच अवश्य कराएं।
अब बात आती है कि अगर आपको इन दोनों प्रकार में से किसी भी एक प्रकार का थाइरोइड है तो आपको इसके लिए खुद को सचेत करना बहुत जरुरी है। इसके लिए कुछ विशेष प्रकार के योग हैं एवं इन योग एक्सरसाइज को अपनाने से दोनों ही प्रकार के थाइरोइड में फायदा मिलेगा। थाइरोइड के लिए योग इस प्रकार हैं:
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हलासन
विपरीतकर्णी
सेतुबंधासन
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हलासन:
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएँ।
दोनों पैरों को एक दूसरे मिलाएँ।
हथेलियों को कमर लाएँ और जमीन से सटाकर रखे।
आँखों को बंद रखें एवं मुँह आकाश की तरफ रखें।
अब शरीर को ढीला छोड़ दें।
श्वास को अंदर की तरफ लेकर पेट को सिकुड़कर पैरों को ऊपर उठाएँ। फिर धीरे -धीरे श्वास
छोड़ें।
कमर और पीठ को पीछे हाथों का सहारा लेकर झुकाएं।
फिर धीरे-धीरे अपनी पुरानी स्थिति में आएँ।
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विपरीतकर्णी:
पीठ के बल लेट जाएँ।
दोनों बाजू सीधे रखें।
टांगों और नितम्बों को ऊपर की और ले जाएँ और घुटनों को मोड़ें।
दोनों हांथों को कूल्हों के नीचे लाएँ और सहारा दें।
कोहनियाँ जमीन पर ही रखें।
अब श्वास को अंदर लेते हुए थोड़ी देर इसी स्थिति में रहे। फिर श्वास को बाहर छोड़ते हुए अपनी पुरानी स्तिथि में वापस आ जाएँ।
इसी प्रक्रिया को कम से कम 5 से 10 बार दोहराएँ।
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सेतुबंधासन:
पीठ के बल सीधे लेट जाएँ।
अब पैरों के घुटनों को मोड़ लीजिये।
घुटनों और पैरों को एक बराबर दूरी पर रखें और बराबर दूरी से फैला लें।
हाथों को जमीन पर टिका लें।
धीरे-धीरे साँस लेते हुए पीठ के निचले और बीच के हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएँ।
अब अपने कन्धों को अंदर की तरफ सिकोड़ें।
छाती को अपनी ठोड़ी से मिलाएँ और हिलें न।
कुछ देर इसी स्थिति में रहे और फिर अपनी पुरानी स्थिति में साँस छोड़ते हुए वापस आ जाएँ।
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