महिलाएँ कैसे करें हृदय रोगों से बचाव

by Darshana Bhawsar
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आज के समय में लोग तरह तरह की बिमारियों से परेशान हैं।  लोगों में ऐसी बीमारियाँ क्यों हो रही कोई इसका कारण नहीं जानना चाहता या कह सकते हैं ये समझने का समय ही नहीं है।  अभी हम बात कर रहे हैं हृदय रोगों के बारे में।  हृदय रोग सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों में हो रहा है।  उम्र के साथ जब हृदय रोग जैसी समस्याएँ होती हैं तो समझ आता है कि उम्र के साथ शरीर और हृदय दोनों ही कमजोर हो जाते हैं।  लेकिन जब बच्चों और महिलाओं की बात आती है तो यह एक चिंताजनक विषय समझ आता है। महिलाएँ आज के समय में पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चल रही है।  लेकिन वे इन सबमें स्वयं पर ध्यान देना भूल ही गई है। न तो वे ठीक से खाने का ध्यान रखती हैं।  और यही बिमारियों का कारण बनता है।

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महिलाओं में बढ़ रहे हृदय रोग ने विश्व को चिंता में डाल दिया है। और इसके लिए कई प्रकार की जानकारी भी एकत्रित की गई है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है।  इसके पीछे कई वजह सामने आयी हैं।

  • महिलाओं में हो रहे हृदय रोग कि वजह:

पहले के समय में महिलाएँ हो या पुरुष बूढ़े हों या बच्चे सभी स्वस्थ रहते थे।  लेकिन आज के समय में सभी बिमारियों की चपेट में हैं।  अभी महिलाओं में हृदय रोग के कई मामले सामने आ रहे हैं।  जब इनकी वजह की जाँच की गई तो एक नहीं बल्कि कई अलग-अलग प्रकार की वजह सामने आईं।  इनमें से कुछ वजह इस प्रकार हैं:

  • मोटापा:
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मोटापा एक नहीं कई बिमारियों की वजह है।  आजकल महिलायें बड़ी कंपनियों में बड़ी पोजीशन पर तो हैं लेकिन खुद पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं। न खाने का समय है न सोने की दिनचर्या।  और एक ही जगह बैठे रहने से मोटापा बढ़ रहा है। जब मोटापा बढ़ता है तो हृदय की धमनियों में हवा या ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुँच पाती और इसी वजह से हृदय में ब्लॉकेज जैसे समस्या उत्त्पन्न हो जाती है।  हृदय सम्बन्धी बीमारियों का बहुत बड़ा कारण मोटापा है।  कई शोध में यह भी पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का शरीर जल्दी मोटा है।  इसलिए महिलाओं को अपनी दिनचर्या पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है।

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  • अनियमित खाना:

कहाँ जाता है लडकियाँ या महिलाएँ खाने की बहुत शौकीन होती हैं।  लेकिन कई बार खाना और अनियमित खाना शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है।  खाने में हमेशा हरी सब्जियाँ,  सलाद, सूप, जूस, अंकुरित अनाज एवं फलों का सेवन करना चाहिए।  यह शरीर के लिए पोषक आहार होता है। इसके साथ ही खाने में दूध,  दही,  छाँछ  आदि का सेवन भी करना चाहिए।  अनियमित खाने से सिर्फ हृदय रोग ही नहीं किडनी की बीमारी,  अल्सर और भी कई बीमारियाँ होती हैं।  इसलिए अगर कई रोगों से बचना है तो अपने भोजन को संतुलित करें।

  • नींद की कमी:

नींद की कमी भी हृदय रोगों का कारण होती है और अत्यधिक  भाग  दौड़ के चलते महिलाएँ पर्याप्त नींद नहीं ले पाती। महिलायें अगर वर्किंग हैं तो उन्हें घर और ऑफिस दोनों ही जगह देखना होता है जिसके चलते कई बार उनकी नींद पूरी नहीं होती। और नींद पूरी न होना हृदय रोग, तनाव,  डिप्रेशन का कारण होता है। शुरुआत में तो महिलायें इस बात पर ध्यान नहीं देती लेकिन जब परेशानी बढ़ जाती है तब उन्हें इस परेशानी का समझ आता है।

  • तनाव:

पुरुषों की तुलना में महिलायें अत्यधिक तनाव महसूस करती हैं।  यह डिप्रेशन के साथ ही साथ हृदय रोग का भी कारण होता है।  अगर महिलयें अधिक तनाव महसूस करती हैं और किसी बात की बहुत चिंता करती हैं और उस चिंता के बारे में किसी को कह नहीं पाती तो इससे उनके हृदय पर असर पड़ने लगता है। 

ये कुछ मुख्य कारण हैं महिलाओं में हृदय रोग होने के।  महिलाएँ किसी भी बात को अत्यधिक गम्भीरता से सोचती हैं और यही गम्भीरता उन्हें कभी-कभी भारी भी पड़ जाती हैं।

  • महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण:

किसी भी लिंग का व्यक्ति हो या उम्र का हृदय रोग के लक्षण सभी में सामान्य ही दिखाई देते हैं।  फिर भी कुछ ऐसे लक्षण जो कुछ हद तक अलग हो सकते हैं।

  • चक्कर आना:

महिलाओं में जब हृदय रोग होता है तो उनमें ये लक्षण सामन्य रूप से दिखाई देते हैं।  हृदय रोग के कारण महिलाओं में कमजोरी आने लगती है और कई बार मासिक धर्म के समय अत्यधिक रक्तस्त्राव के कारण भी ऐसा होता है।  अगर कमजोरी महसूस होने के साथ ही साथ चक्कर भी आ रहे हैं तो हो सकता कि यह हृदय रोग की वजह से हो।

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  • खून की अचानक कमी हो जाना:

जब हृदय रोग की बात आती है तो हृदय धमनियाँ तक ठीक से खून नहीं पहुँच पाटा और  खून की कमी हो जाति है।  खून की कमी हो जाना ही कई बार हृदय रोग की तरफ संकेत करता है।  जरुरी नहीं है कि खून की कमी हमेशा एनीमिया ही हो।

  • सांस फूलना:

थोड़ा चलने पर ही सांस  का फूलना हृदय रोग का सामन्य लक्षण है।  अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो इससे गम्भीरता से लें और डॉक्टर से इसकी जाँच कराएँ।  ह्रदय रोग वाले मरीज को अधिकतर यह परेशानी होती है।  सांस फूलना अस्थमा की तरफ भी संकेत करता है। इसलिए अगर ऐसी कोई भी समस्या है तो सतर्क रहें।

  • सीने में दर्द:

अगर कई दिनों से सीने में दर्द की समस्या बनी हुई है। और पानी पीने पर भी सीने में दर्द हो रहा है तो इसकी तुरंत ही जाँच करवाना चाहिए।  सीने में दर्द होना हृदय रोग का सबसे बड़ा लक्षण होता है। हो सकता यह दर्द हृदय रोग की तरफ इशारा कर रहा हो। यह दर्द चलने में, बैठने में या फिर खड़े होने में भी महसूस होता है। और यदि अचानक बैठकर खड़े होने में चक्कर आते हैं तो भी यह हृदय रोग का लक्षण हो सकता है।

ये कुछ लक्षण है जो महिलाओं में हृदय रोग होने पर दिखाई देते हैं। वैसे तो ये सामन्य लक्षण है लेकिन अधिकतर ये महिलाओं में दिखाई देते हैं।

  • हृदय रोग से बचने के उपाय:
  • तनाव को दूर रखें:
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अगर हृदय रोगों से दूर रहना है तो तनाव से  दूर रहना बहुत जरुरी है।  हृदय रोग तनाव का कारण भी पनपते हैं एवं तनाव को दूर करके हृदय रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।  तनाव को दूर करने के लिए आप खुश रहने का प्रयास करें।  आप जितना खुश रहने का प्रयास करेंगी आप हृदय रोगों से उतनी दूरी बना पाएंगी।

  • भोजन का रखें ध्यान:

स्वस्थ रहने के लिए एक दिनचर्या बनाना बहुत जरुरी होता है। दिनचर्या में सोने से लेकर खाने तक सभी चीज़ों का नियम होना चाहिए। समय पर खाना और संतुलित खाना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। हृदय रोगों से दूर रहने के लिए भी संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। इसलिए इसका विशेष ध्यान रखें।

  • व्यायाम:

व्यायाम में आप सिर्फ योग का सहारा लें इससे आपके हृदय रोग में आराम मिलेगा और अगर आपको हृदय रोग नहीं है तो कभी नहीं होगा।  लेकिन आपको योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना पड़ेगा। योग के द्वारा हृदय के सभी रोगों से मुक्ति मिल सकती है कई हद तक दिल के छेद में भी।  लेकिन जटिल समस्या होने पर सर्जरी जरूरी होती है। योग से कुछ स्थिति में हृदय रोगों को रोका जा सकता है ख़त्म नहीं किया जा सकता।

  • खुश रहने का करें प्रयास:

ह्रदय रोग या तनाव या डिप्रेशन किसी चिंता के कारण होते हैं। अगर चिंता को छोड़ कर हर बात को आसानी से ले लिया जाये तो किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी या कह सकते हैं परेशानियाँ कम हो जाएँगी। खुश रहने से कई बिमारियों को दूर किया जाना संभव है। अगर खुश रहा जाये तो ह्रदय रोग पर भी नियंत्रण पाना संभव है। हर रोग से लड़ने की क्षमता व्यक्ति के अन्दर होती है। लेकिन जब बड़ी बिमारियों के बारे में लोगों को पता चलता है तो लोग घबरा जाते है। लेकिन अगर आप हंसी ख़ुशी इस बीमारी से लड़ेंगे तो आप आसानी से इसे नियंत्रित कर पाएंगे।

  • शराब से रहे दूर:

शराब भी ह्रदय रोग का बहुत बड़ा कारण होती है। शराब पीने से ह्रदय रोग होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है। इसलिए इनसे बचने के लिए शराब से परहेज करना चाहिए। महिलाओं को शराब बहुत ही जल्दी प्रभावित करती है। पथरी में कई बार डॉक्टर बार पीने की सलाह देते हैं लेकिन बार एक सीमा के अन्दर पीना चाहिए ऐसा नहीं कि उसे अपनी आदत बना लिया जाये। शराब को सीमा के बाहर पीने से किडनी सम्बंधित रोग भी जाते हैं।