अधिकाशतः महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर पचास बर्ष की उम्र से पहले होता है। साथ ही इससे अधिक उम्र की महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा होता है। यदि इस कैंसर के बारे में जल्दी पता चल जाये तो लगभग 91 प्रतिशत बचने की संभावना रहती है, परन्तु इसके बारे में काफी देर बाद या हम कह सकते हैं कि एडवांस स्टेज में पता चले तो इससे बचने की संभावना 16 प्रतिशत ही रह जाती है। अधिकांशतः यह कैंसर असुरक्षित संभोग करने के कारण होता है।
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सर्वाइकल कैंसर के बारें में कहा जाता हैं कि अधिकाशतः यह एचपीवी संक्रमण से ही होता है, परन्तु देखा गया अधिकतर मामलों में एचपीवी (HPV) संक्रमण से सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है। कुछ नए आकड़ों के अनुसार एचपीवी संक्रमण थोड़े समय के लिए ही होता है, जैसे सिर्फ 8-13 महीनों के लिए। सर्वाइकल कैंसर का खतरा महिलाओं में उम्र के साथ बढ़ता जाता है। इसलिए नियमित रूप से इसकी जांच कराई जाना बहुत ही जरुरी होता है। आज कल बाजार में ह्युमन पैपिलोमा वैक्सीन उपलब्ध है। यह सभी देशो के सभी अस्पतालो में आसानी से उपलब्ध हो जाते है। इसको कही भी लगवा सकते हैं। वैक्सीन केवल नौ साल से छब्बीस साल की उम्र की महिलाएं ही लगवा सकती है। यह वैक्सीन तीन चरणों में दी जाती है, वैक्सीन की पहली डोज एक महीने में, उसके बाद दूसरी और तीसरी डोज छटे महीने में दी जाती है।
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कोई लक्षण ना होने के बाद भी आपको एचपीवी संक्रमण हो सकता है। टीके लगने के बाद भी महिलाओं को नियमित रूप से पैप स्मीयर कराते रहना चाहिए। जब युवतियां लगभग 21 साल की हो जाये तब शुरुआत में ही हर युवती को सर्वाइकल कैंसर की जांच करानी चाहिए। पैप स्मीयर जांच एक ऐसी जांच हैं जिसके द्वारा गर्भाशय के कैंसर की शुरुआती अवस्था को जाना जा सकता है। इसके साथ आप एचपीवी जांच भी अपने डॉक्टर से करा सकती हैं। इस जांच से सर्वाइकल कैंसर की पुष्टि पूरी तरह से हो जाती है।
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अतः उन महिलाओं को जो 30 और 65 वर्ष की उम्र के बीच हैं, उन्हें पैप स्मीयर और एचपीवी जांच समय समय पर कराते रहना चाहिए। इस कैंसर का पता यदि शुरूआती स्टेज पर चल जाये तो आप इस पर काफी हद तक नियंत्रण पा सकते है। हर साल भारत में सर्वाइकल कैंसर के 1,23,000 नए मामले सामने आते हैं, अतः इस बीमारी के बारे में अधिक से अधिक लोगो के बीच में जागरूकता होना अति आवश्यक है, जिससे बीमार व्यक्ति कैंसर का पता चलते ही समय रहते अपनी जांच करा सके।
रिपोर्ट: डॉ.हिमानी