एक महिला के लिए माँ बनने का सफ़र एक सपने जैसा होता है। कई परिवर्तनों और कई दौर से गुजरकर एक गर्भवती महिला अपने शिशु को जन्म देती है और इस दौरान शिशु भी माँ के गर्भ में कई आकार और परिवर्तनों से गुजरता है। दोनों के लिए ही यह समय चुनौतियों से भरा हुआ होता है। यह समय बहुत ध्यान रखने वाला होता है हर सप्ताह हर महीने कई प्रकार के अलग अलग बदलाब माँ और बच्चे दोनों में गर्भावस्था के दौरान आते हैं जिसे माँ और शिशु दोनों महसूस कर सकते हैं। आज हम यहाँ बात करने वाले हैं छः सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तनों के बारे में, कि इस दौरान किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं:
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छः सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन:
इस दौरान माँ और बच्चे दोनों में ही कई परिवर्तन आते हैं तो हम इन दोनों ही विषयों को समझने का यहाँ प्रयास करेंगे। ये समय बहुत ही अद्भुत होता है जब माँ के गर्भ में एक शिशु विकसित होता है और वह विकास माँ को महसूस होता है।
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- शिशु का आकार:
हर गर्भवती महिला अपने बच्चे के आकार के बारे में जानना चाहती है कि उसके गर्भ में विकसित हो रहे शिशु का आकार क्या है। छः सप्ताह में शिशु का आकार दाल के दाने के बराबर होता है मतलब उसकी लम्बाई लगभग पाँच मी. मी. तक होती है। शिशु का दिल चार अलग अलग भाग में होता है। और दिल की धड़कन लगभग 150 प्रति मिनिट की होती है। यह हमारे ह्रदय गति से लगभग दोगुना होता है।
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इस दौरान शिशु के सिर का आकार उसके धड़ से अधिक बड़ा होता है। और सिर छाती की और झुका हुआ होता है। मुँह का आकार बनने लगता है साथ में जहाँ आंखें बनना है वहाँ दो गहरे निशान दिखने लगते हैं नाक के लिए दो छोटे छिद्र भी बनने लगते हैं और कान के छिद्र भी बनने लगते हैं। यह सब मानों एक चमत्कार के जैसा दिखाई देता है। छः सप्ताह का गर्भ कुछ इस तरह से प्रतीत होता है।
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- माँ के शरीर में आने वाले परिवर्तन:
छः सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में माँ के शरीर में भी कई प्रकार का परिवर्तन आता है जैसे सुबह सुबह मिचली होना और इसे रोक पाना मुश्किल होता है, नींद में बाधा होना यह गर्भवती महिलाओं की आम समस्या होती है, बार बार पेशाब आना और कई बार पूरी पूरी रात भी गर्भवती इस बदलाब से परेशान हो जाती हैं, भूख का कम या अधिक होना, शरीर का मोटापा बढ़ना, सूजन बढ़ना आदि। ये सभी समस्याएँ और परिवर्तन आम तौर पर महिलाओं में देखने के लिए मिलते हैं।
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छः सप्ताह की गर्भावस्था में आने वाले परिवर्तन में यह सभी देखा जाता है। यह समय गर्भावस्था के शुरूआती दौर होता है लेकिन सबसे ज्यादा समस्या इस समय गर्भवती को होती है क्योंकि उनको इस बदलाब की आदत नहीं होती। शरीर इस बदलाब को अपनाने में समय लगता है जिससे महिलाएँ कई बार अस्वस्थ महसूस करती हैं। लेकिन यहाँ महिलाओं को अपना मानसिक संतुलन बनाये रखने की बहुत आवश्यकता होती है।