मानसिक तनाव व्यक्ति के जीवन को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है। डिप्रेशन और तनाव से व्यक्ति की पूरी जीवनशैली की कायापलट हो जाती है। इसका प्रवाह सिर्फ मष्तिष्क पर ही नहीं पूरे के पूरे शरीर पर होता है। डिप्रेशन शब्द सुनकर ही तनाव महसूस होने लगता है तो सोचिये जिनको डिप्रेशन प्रभावित कर रहा होगा उनका क्या हाल होगा। डिप्रेशन के कई कारण होते हैं एवं इन कारणों का जानना बहुत जरुरी है ताकि इनसे रोकथाम हो सके।
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- क्या है डिप्रेशन:
डिप्रेशन जिसका हिंदी में मतलब होता है अवसाद। मानसिक तनाव के कारण डिप्रेशन होता है। मानसिक तनाव के कई कारण हो सकते हैं जैसे कोई ऐसी वजह जिससे आपके मष्तिष्क पर असर पड़ा हो, कोई दुर्घटना, कोई चोट या कोई दुःख इत्यादि। कई बार डिप्रेशन दिमाग पर इतना अधिक हावी हो जाता है कि व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम तक उठाने पर मजबूर हो जाता है। लेकिन इसके पीछे व्यक्ति की गलती नहीं होती क्योंकि डिप्रेशन वाले व्यक्ति को कुछ पता ही नहीं होता कि वह क्या कर रहा है। डिप्रेशन को पहचानना बहुत जरुरी है। क्योंकि जब डिप्रेशन को पहचाना जायेगा तभी इसका इलाज संभव है।
- किस तरह का तनाव डिप्रेशन का कारण होता है:
वैसे देखा जाये तो तनाव किसी भी प्रकार का हो तनाव ही होता है उसके दुष्परिणाम तो होते ही हैं। लेकिन अत्यधिक तनाव होना सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। तनाव भी कई प्रकार के होते हैं जो डिप्रेशन का कारण होते हैं:
- दुर्घटना वाला तनाव:
दुर्घटना में किसी की मृत्यु होना या किसी अपने को खो देने का दुःख होना जिसे कई बार व्यक्ति दिल से लगा लेते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अत्यधिक सोच में पड़ जाता है और धीरे-धीरे अन्य लोगों के साथ घुलना मिलना छोड़ देता है। परिणाम स्वरुप वह तनाव में रहने लगता है जिसके कारण वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
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- ऑफिस के कार्य की वजह से होने वाला तनाव:
कई बार ऑफिस में बहुत अधिक कार्य होता है और इस वजह से व्यक्ति तनाव में रहने लगता है और इसी वजह से वह अत्यधिक सोच में पड़ जाता है। इस वजह से उसे न तो रात को नींद आती न ही वह ठीक से खाना खा पाता है। और इस वजह से व्यक्ति शारीरिक रूप से भी परेशान रहने लगता है और इस वजह से भी वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
- अत्यधिक पढाई का दवाब होना:
आज कल के समय में छोटे-छोटे बच्चों पर भी पढाई का बहुत दवाब रहता है और इस वजह से बच्चे खेलना और खुश रहना ही भूल जाते हैं। और बच्चों के माता पिता घर पर भी बच्चों पर पढाई का दवाब देते हैं वहीं स्कूल में उनके टीचर्स। परिणामस्वरूप बच्चे अपनी बात किसी के भी सामने नहीं रख पाते और वे गलत कदम उठा लेते हैं। ये डिप्रेशन का एक बहुत ही बड़ा कारण होता है।
- किसी रिश्ते का टूटना:
आज कल हम देखते हैं कोई भी रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पा रहा है चाहे वो माता पिता के बीच का हो या पति पत्नी के बीच का। इसका कारण है कि कोई किसी को समझना ही नहीं चाहता। कई बार रिश्तों में बहुत खटास आ जाती है जिसकी वजह से लोग रिश्तों में एक दूसरे पर आरोप एवं प्रत्यारोप लगाते हैं। और रिश्ते टूट जाते हैं। इन रिश्तों के टूटने पर कई बार लोग तनाव की चपेट में आ जाता है जिसका दुष्परिणाम होता है डिप्रेशन।
- आर्थिक परेशानी:
कहा जाता है पैसों से हर चीज़ खरीदी जा सकती है। कई हद तक यह बात ठीक भी है लेकिन कुछ जगह ये बात लागू नहीं होती। तो कभी-कभी ऐसा होता है कि आर्थिक संपन्न न होने की वजह से कई लोगों में तनाव पनपने लगता है जिसका परिणाम होता है डिप्रेशन। यह डिप्रेशन का बहुत बड़ा कारण बताया गया है। आर्थिक कमजोर होने की वजह से लोगों को न ठीक से भोजन मिलता, न कपडे, न ही घर और अगर वे बीमार हो जाते हैं तो न ही उन्हें पर्याप्त रूप से इलाज मिल पाता।
- वेवजह का तनाव:
वेवजह का तनाव तो कुछ भी हो सकता है जैसे कि किसी ने अगर मजाक भी किया है तो उसे गंभीर रूप से लेना और इस प्रकार का तनाव बहुत ही खतरनाक होता है। यह कभी-कभी व्यक्ति का व्यवहार भी होता है। और यही व्यव्हार तनाव का कारण बन जाता है जिससे व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। इसे वेवजह का तनाव कहा जाता है।
- डिप्रेशन से बाहर निकलने के उपाय:
डिप्रेशन में एक बार आने के बाद उससे निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर डिप्रेशन से पहले ही बचा जाये तो कई चीज़ें आसान हो जाती है क्योंकि डिप्रेशन के बाद इसे रोकना और इससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
- भरपूर नींद:
अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है तो उसे पूरी नींद लेना चाहिए। क्योंकि पूरी नींद लेने से दिमाग कम बातों को सोचता है और शांत रहता है। इसलिए डिप्रेशन वाले व्यक्ति को कम से कम आठ घंटे नींद लेने की सलाह दी जाती है। क्योंकि जो व्यक्ति डिप्रेशन में होता है वह नींद नहीं लेता और कुछ न कुछ सोचता रहता है।
- सूरज की रोशनी:
सूरज की रोशनी सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। इसलिए कहा जाता है कि घर भी ऐसा होना चाहिए जिसमें सूर्य की रोशनी भी पर्याप्त मात्रा में आये। क्योंकि सूरज की रोशनी शरीर के लिए बहुत आवश्यक होती है। इसी तरह डिप्रेशन वाले व्यक्ति को भी सूरज की रोशनी में बैठने की सलाह दी जाती है जिससे उसमें सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो।
- प्रतिदिन सुबह और शाम टहलना:
अगर रोज सुबह की शुद्ध हवा में टहला जाये और शाम की ठंडी हवा में टहला जाये तो कई बीमारियाँ दूर होती हैं साथ ही डिप्रेशन और तनाव भी दूर होता है। अगर टहलने के लिए आप पेड़ पौधों वाली जगह को चुनते हैं तो बहुत ही अच्छा होता है क्योंकि पेड़ पौधों से पर्याप्त मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। और ताज़ी हवा से तनाव कोसों दूर होता है।
- प्रतिदिन योग करना:
योग शरीर के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है अगर आप रोज योग करते हैं तो इससे आपकी सेहत बहुत अच्छी रहती है। कई बीमारियाँ दूर होती हैं साथ ही साथ तनाव और मानसिक परेशानियाँ भी दूर होती हैं। योग एक बहुत पुरानी व्यायाम पद्धति है जिससे कई रोगों को दूर किया जाना संभव है। इसलिए डॉक्टर भी रोगियों को योग की सलाह देते हैं।
- मैडिटेशन:
डिप्रेशन को बाहर निकालने के लिए मैडिटेशन सबसे अच्छा उपचार माना जाता है। तनाव को दूर करने के लिए मैडिटेशन की सलाह हमेशा दी जाती है। मैडिटेशन से दिमाग को शांत रखना संभव है एवं दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिससे व्यक्ति हर परेशानी को संतुलित तरीके से हल करता है।
यह वो तरीके हैं जिनसे आप डिप्रेशन से स्वयं को बाहर निकाल सकते हैं। जब हम खुश रहते हैं तो तनाव नहीं होता। तो सोचिये अगर हर परेशानी को खुश रहकर ही सुलझाया जाये तो तनाव की गुंजाईश ही नहीं रहेगी। इस बात को भी नहीं नाकारा जा सकता कि मनुष्य की प्रकृति ऐसी होती है कि न चाहते हुए भी कई चीज़ों से तनाव संभव है। लेकिन इस तनाव को कम करना भी मनुष्य के हाथ में है। अगर मनुष्य इस बात को समझ ले तो डिप्रेशन जैसी बीमारियाँ यहीं अपना दम तोड़ देंगी। अब देखते हैं कि तनाव और डिप्रेशन को कैसे दूर रखा जाये।
- तनाव और डिप्रेशन को दूर रखने के उपाय:
तनाव और डिप्रेशन तब हम पर हावी होता है जब हम इसे स्वयं पर हावी होने देते हैं अगर हम ठान लें कि हमें इसे खुद पर हावी नहीं होने देना है तो तनाव या डिप्रेशन हम पर हावी हो ही नहीं सकता। और इससे बचने या इसे दूर रखने के बहुत से उपाय है। तनाव और डिप्रेशन को दूर रखा जा सकता है सिर्फ खुश रहकर। तनाव और डिप्रेशन को दूर रखने का एक मात्र उपाय है ख़ुशी।
- अपनी ख़ुशी को दे महत्व:
हमेशा अपनी ख़ुशी को महत्व दें। इसका मतलब ये नहीं है कि अगर कोई चीज़ गलत है और आपको पसंद है तो आप वही करें। एक बार गलत और सही के बारे में सोचें जरूर और अगर कोई काम गलत नहीं और उससे आपको ख़ुशी मिलती हैं तो स्वयं को न रोकें। खुद की ख़ुशी हमेशा जरुरी होती है और दिमाग को इससे शांति मिलती है। इसलिए अपनी ख़ुशी को महत्व देना गलत नहीं है इससे डिप्रेशन और तनाव को दूर रखा जा सकता है।
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- घूमना-फिरना:
घूमना फिरना मतलब आप 2-5 दिन के लिए कहीं न कहीं घूमने जरूर जाएँ। जब आप घूमेंगे तो आपके वातावरण में परिवर्तन आएगा और आप नए लोगों से मिलेंगे नई जगह में सांस लेंगे। इससे आपके दिमाग को शांति का अनुभव होगा और ख़ुशी महसूस होगी। ये ख़ुशी कुछ दिनों की ही होगी लेकिन आप यहाँ पूर्ण रूप से एन्जॉय करेंगे। ये छोटी-छोटी खुशियाँ ही आपको तनाव और डिप्रेशन से दूर रखेंगी।
- पार्टी:
दोस्तों के साथ पार्टी करना उनके साथ समय बिताना बहुत जरुरी होता है इससे आप ख़ुशी का अनुभव करते हैं। पार्टी करने से आप बहुत रिलैक्स महसूस करते हैं क्योंकि रोज-रोज की एक जैसी दिनचर्या से व्यक्ति परेशान हो जाता है और उसे थोड़ा परिवर्तन चाहिए होता है। और समय की भी कमी होती है तो सप्ताह में एक दिन या महीने में एक दिन व्यक्ति अगर पार्टी करे और उससे उसे ख़ुशी मिले तो कुछ गलत नहीं है। इससे भी तनाव कम होता है और डिप्रेशन दूर होता है।
- म्यूजिक:
म्यूजिक थेरेपी के बारे में तो आज के समय में सभी लोग जानते हैं। म्यूजिक सुनने से भी तनाव और डिप्रेशन दूर होता है। जो भी म्यूजिक, गाने आपको पसंद हों आप सुन सकते हैं इससे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी आप खुश रहेंगे। और खुश रहने से ही तनाव और डिप्रेशन को दूर रखना संभव है। इसलिए म्यूजिक को भी अपने जीवन में जगह दें।
ये कुछ ख़ास तरीके हैं जिनसे डिप्रेशन और तनाव को दूर रखा जा सकता है और साथ ही इससे बाहर निकला जा सकता है। पहली बात तो अगर आप डिप्रेशन में हैं तो इस बात को जानना बहुत जरुरी है। तभी आप इसकी रोकथाम कर पाएंगे और दूसरा इसका कारण पता होना भी जरुरी है।