हृदय रोग से बुर्जुगों को कैसे बचाया जा सकता है

by Darshana Bhawsar
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आज कल के समय में कई तरह की बीमारियाँ हो रही हैं। हाल ही में हम देख रहे हैं कि सारा विश्व कोरोना वायरस से प्रभावित है। लेकिन आज यहाँ हम बात करने जा रहे हैं हृदय रोगों की। हृदय रोग से आज के समय में कई लोग परेशान हैं जिसमें युवा,  बच्चे,  महिलायें एवं बुजुर्ग सभी वर्ग आयु के लोग हैं। यह ऐसा रोग है जो किसी को भी हो सकता है। लेकिन यहाँ हम बात करने जा रहे हैं कि ह्रदय रोग से बुजुर्गों को कैसे बचाया जा सकता है।

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बुढ़ापा एक ऐसी उम्र होती है जिसमें कई प्रकार की बीमारियाँ शरीर को घेर लेती हैं। ये बीमारियाँ कई बार जानलेवा साबित होती हैं। बुजुर्गों का शरीर उम्र के साथ बहुत कमजोर होता जाता है और साथ ही हृदय भी कमजोर होता जाता है। इस उम्र में कई प्रकार से ध्यान रखना होता है जिससे हृदय रोग से बचा जा सके।

  • बुढ़ापे में हृदय रोग से बचने के उपाय:

बुढ़ापे में हृदय रोग से बचने के कई उपाय हैं जो उपाय आसानी से अपनाये जा सकते हैं जैसे:

  • योग करें:
yoga

योग करना सेहत के लिये बहुत अच्छा होता है। अगर बुजुर्ग लोग योग में प्राणायाम करें तो वे हृदय रोग पर नियंत्रण कर सकते हैं।  प्राणायाम करने से शरीर को कई और भी रोगों को दूर किया जाना संभव है इसलिए अगर बुजुर्ग योग करें तो वे हृदय रोगों से बच्चे सकते हैं।

  • संतुलित भोजन:

वैसे तो सभी के लिए संतुलित भोजन जरूरी होता है।  लेकिन अगर बुर्जुगों की बात की जाये तो उन्हें संतुलित भोजन और नाप तौल के भोजन करना चाहिए।  बुढ़ापे में ज्यादा तली चीज़ें नहीं खाना चाहिए।  तली हुई चीज़ें खाने से हृदय रोग और भी ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।  इसलिए बुजुर्गों को हमेशा संतुलित भोजन करना चाहिए।

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  • टहलना:

बुजुर्गों के लिए सुबह शाम कुछ देर टहलना बहुत ही उत्तम माना जाता है इसलिए डॉक्टर भी बुजुर्गों को थोड़ी देर टहलने की सलाह देते हैं।  टहलना सभी के लिए अच्छा होता है लेकिन बुर्जुर्ग लोग व्यायाम करने में ज्यादातर सक्षम नहीं हो पाते हैं इसलिए उन्हें टहलने की सलाह दी जाती है।

  • मैडिटेशन:
Mindfulness-Meditation

मैडिटेशन से दिमाग शांत और संतुलित रहता है।  और हृदय रोग से बचाने में इसका बहुत बड़ा हाथ है।  मैडिटेशन करने से व्यक्ति का दिमाग़ संतुलित हो जाता है और व्यक्ति हृदय रोग से लड़ने के लिए सक्षम हो जाता हैं। इसलिए मैडिटेशन भी करना चाहिए।

ये सभी उपाय अपनाने से बुजुर्ग स्वयं को हृदय रोगों से बचा सकते हैं। बुर्जुगों को हृदय रोग का खतरा बहुत अधिक होता है। हृदय रोग वैसे तो किसी को भी हो सकता है। इसके लिए कोई उम्र सीमा नहीं है। लेकिन इनको नियंत्रित किया जाना संभव है।

  • बुजुर्गों में हृदय रोगों के लक्षण:

बुर्जुर्गों में कभी-कभी हृदय रोग के लक्षण तुरंत देखने को मिलते हैं जैसे हार्ट अटैक और हार्ट फ़ैल। लेकिन कुछ लक्षण काफ़ी समय से पहले से दिखने लगते हैं जैसे:

  • अचानक शरीर में दुर्बलता दिखाई देना और अचानक से भूख कम हो जाना।
  • खून की अचानक से कमी हो जाना।
  • साँस लेने में तकलीफ होना।
  • चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना, आँखों के आमने अंधेरा छा जाना।
  • सीने में दर्द बना रहना और उलटी जैसा मन होना।

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इस तरह के लक्षण बुजुर्गों में हृदय रोग के दौरान दिखाई देते हैं। तो इन पर ध्यान दें तो आप जाँच करवाएं और समय पर दवाएँ भी लें।  यह भी हृदय रोग से बचने के लिए बहुत आवश्यक है।