जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उनका बहुत ध्यान रखना होता है। और इस समय सक्रिय रहना बहुत ही जरुरी है और साथ ही इस समय ध्यान रखना भी बहुत जरुरी होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम भी बहुत जरुरी होता है लेकिन ये व्यायाम किसी डॉक्टर या ट्रेनर की सलाह से किया जाना चाहिए। और इस समय पॉवर योग, वजन उठाना जैसे कोई भी व्यायाम न करें। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। अगर आप कोई भी व्यायाम करते हैं तो आप ध्यान रखें कि ट्रेनर आपके आस पास ही हो जिससे वो आपके व्यायाम पर ध्यान दे सके।
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गर्भावस्था में व्यायाम करना बहुत ही जरुरी होता है। यहाँ हम आपको कुछ व्यायाम बताएँगे जो आपके लिए बहुत सहयोगी होंगे और प्रसव के दौरान आपको बहुत ही कम तकलीफ का सामना करना पड़ेगा। आजकल सामान्य प्रसव के लिए डॉक्टर भी व्यायाम की सलाह देते हैं। क्योंकि अगर बेड रेस्ट करते हैं तो प्रसव सामान्य होना मुश्किल होता है। इसलिए व्यायाम की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है। गर्भवस्था के दौरान कई प्रकार से महिलाओं को ध्यान रखना पड़ता है जैसे:
- गर्भावस्था के प्रारंभिक महीने में पेट के निचले हिस्से पर अधिक दबाव वाले आसन न करें।
- गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में खड़े रहने वाले कुछ योगासन करें इससे पैरों की मांसपेशियाँ मजबूत होंगी। इसके साथ ही रक्त संचार भी ठीक रहेगा।
- गर्भावस्था के छह महीनो में थका देने वाले योग और व्यायाम से दूर रहें। और ज्यादा भाग दौड़ वाले काम नहीं करें।
- गर्भावस्था के दौरान पेट पर ज्यादा दवाब नहीं डालें क्योंकि ऐसा करने से गर्भपात हो सकता है।
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गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम:
- योगासन:
गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम में योगासन को चुनना बहुत ही फायदेमंद होता है लेकिन इसमें भी कुछ ही योग हैं जो आप करें। क्योंकि गर्भवती महिलाओं के सभी योग करना उचित नहीं है। इसलिए सोच समझ कर और किसी की सलाह लेकर ही योग करें। वैसे तो ये कुछ योग हैं जो गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं जैसे: सुखासन, वज्रासन,ब्राह्मरी प्राणायाम, योगनिद्रा इत्यादि।
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- पैदल चलना:
गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम में वॉक और पैदल चलना एक बहुत ही अच्छा विकल्प होता है। अगर आप पैदल चलती हैं तो आपके अंदर स्फूर्ति बनी रहेगी और आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा। पैदल चलने से मोटापा भी नहीं बढ़ता और प्रसव के दौरान आपको कम तकलीफ होगी, साथ ही जल्द ही प्रसव क्रिया पूर्ण होगी। इसलिए गर्भवती महिलाएं पैदल चलें। खाना खाने के बाद थोड़ी देर जितना संभव हो पैदल चलें।
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- मैडिटेशन:
मैडिटेशन दिमाग की शांति के लिए किया जाता है और गर्भवती महिलाओं को मैडिटेशन करने की बहुत ही जरुरत होती है। इसलिए मैडिटेशन पर भी ध्यान दें। इससे मानसिक तनाव दूर होगा। साथ ही एकाग्रता बढ़ेगी। तो गर्भवती महिलाओं को मैडिटेशन करना चाहिए जिससे उनके प्रसव के दौरान उनका दिमाग शांत और संतुलित रहे। गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम का यह भी एक अहम् हिस्सा है।
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- प्राणायाम:
प्राणायाम योग का ही एक भाग है। लेकिन इसमें सांसों पर नियंत्रण करना होता है। प्राणायाम गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम ही है और इसे करने के कई सारे फायदे भी हैं। यह समय किसी भी महिला के लिए बहुत नाजुक समय होता है। इस दौरान महिलाओं को दिमाग शांत रखने की बहुत जरुरत होती है क्योंकि अगर इस समय गर्भवती महिला तनाव महसूस करती है तो उसका सीधा असर होने वाले बच्चे पर पड़ता है। और प्राणायाम इस तनाव से मुक्ति दिलाता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को प्राणायाम करना चाहिए यह भी किसी ट्रेनर की देखरेख में।
ये सभी गर्भवती महिलाओं के लिए व्यायाम हैं इनके अलावा कुछ और भी चीज़ें हैं जिनका गर्भवती महिलाओं को ध्यान देना चाहिए। जैसे खाने में क्या खाएँ क्या न खाएँ, कोई भारी सामान न उठाएं, कोई ऐसा व्यायाम न करें जिससे उनके पेट पर वजन पड़े इत्यादि। गर्भवती महिलाओं को खान पान का तो विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे:
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- पपीता न खाएँ, अनार और गरम फलों का सेवन न करें।
- तरबूज, सेब, संतरा, आम इन फलों का सेवन करें।
- दौड़ न लगाएं, न ही तेज चलें।
- दूध, दही का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।
इन सभी चीज़ों का गर्भवती महिलाओं को ध्यान रखना होगा साथ ही उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि उनको मानसिक रूप से कोई परेशानी न हो। अगर उनके ऐसा महसूस होता है तो वे मैडिटेशन और प्राणायाम का सहारा लें लेकिन अपने दिमाग को शांत रखें। यह उनके लिए और उनके होने वाले बच्चे के लिए अच्छा होगा। और व्यायाम करने से प्रसव आरामपूर्वक होगा इसलिए व्यायाम जरूर करें, इससे प्रसव के बाद मोटापा भी नहीं बढ़ेगा।