योग एक ऐसा व्यायाम है जिसके दुष्परिणाम नहीं है। इसलिए डॉक्टर भी गर्वावस्था में योग करने की सलाह देते हैं एवं योग के द्वारा नार्मल डिलीवरी की सम्भावना बड जाती है। गर्वावस्था के लिए कुछ विशेष योग होते हैं एवं कुछ विशेष प्राणायाम होते हैं जिनको सीखना और समझना बहुत आवश्यक होता है। क्योंकि गर्वावस्था एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें थोड़ी सी भी लापरवाही महंगी पड़ जाती है। गर्वावस्था के लिए योग बहुत ही उपयोगी माना गया है। योग वैसे तो अपनी दिनचर्या में शामिल करना ही चाहिए। लेकिन अगर फिर भी किसी कारण से आप ऐसा नहीं कर पाते तो किसी विशेष वजह से योग का सहारा लेने का सुझाव हमेशा दिया जाता है। गर्वावस्था के लिए कुछ विशेष योग एवं प्राणायाम इस प्रकार हैं:
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1.सुखासन
2. उज्जयी साँस के साथ वज्रासन
3. ताड़ासन
4. कोणासन
5. तिकोणासन
6. वीरभद्रासन
7. उज्जै प्राणायाम
8. पूर्ण योगिक साँस
9. नाड़ी शोधन
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ये सभी योग गर्वावस्था के दौरान किये जा सकते हैं एवं इनके परिणाम हमेशा सकारत्मक देखने को मिलेंगे। इन आसनों से प्रसव के दौरान तकलीफ भी कम होती है और कहते हैं जच्चा और बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। कहा जाता है कि प्रसव के दौरान महिला का दूसरा जन्म होता है ये बात सही भी है क्योंकि प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को सहना बहुत ही कठिन होता है। गर्वावस्था के लिए योग को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इससे प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है।
ये जो सभी योग बताये गए हैं इनसे गर्वावस्था में प्रसव के दौरान बहुत सहायता मिलती है। इसलिए डॉक्टर भी गर्ववती महिलाओं को गर्वावस्था के दौरान योग और प्राणायाम करने की सलाह देते हैं। गर्वावस्था में योग करने के दौरान ध्यान देने वाली यह है कि आप योग करते समय किसी ऐसे व्यक्ति को साथ रखें जो आपको सही प्रकार से योग करने में सहायता कर सके। योग को करने के कुछ नियम होते हैं एवं गर्वावस्था के समय तो हर कार्य को बहुत ही सम्हाल कर करना होता है। तो इस दौरान अगर आप इस योग को ध्यान और नियम के साथ करें तो उसका फायदा होगा।
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