योग एक ऐसी साधना है जिसमें व्यक्ति स्वयं को अंदरूनी एवं बाहरी रूप से निखारता है। योग के द्वारा इन्सान अपने आप में बहुत परिवर्तन करता है चाहे वो शरीर की तंदरुस्ती को लेकर हो या दिमाग की तंदरुस्ती को लेकर। आज कल के समय में अधिकतर व्यक्ति नौकरी करते हैं और इसके चलते ही इंसान टेंशन और कई प्रकार की बिमारियों का शिकार हो रहा है।
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सबसे पहले समझने वाली बात ये है कि अगर आप सच में एक अच्छा जीवन चाहते हैं या नहीं, जो निरोगी और खुशहाल हो। तो उसके लिए आपको थोडा समय निकालना जरुरी है। क्योंकि अगर जीवन निरोगी है तो ही जीवन खुशहाल भी है। सबसे पहले आप अपनी एक दिनचर्या बनाये। जिसमें आपके सारे कार्य हों जैसे कि आपने सुबह से लेकर शाम तक क्या किया। जब आप यह दिनचर्या बनायेंगे तो आपको स्वयं ही पता चलेचल जायेगा कि आप अभी तक कैसी जीवनशैली के साथ जी रहे थे और आपको कहाँ अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। इसके बाद आप एक और दिनचर्या बनाये जिसमें आपकी जरुरत और आपको क्या करना चाहिए वह लिखा हो।
याद रखें इसमें योगासन और व्यायाम को जरुर रखें। क्योंकि हर सुबह की शुरुआत अच्छी और ख़ुशी के साथ होना चाहिए। अगर सुबह अच्छी होगी तो पूरा दिन भी अच्छा होगा। एवं यह योग से ही संभव है। अब नीचे दिए कुछ नियमों का पालन करें और इन नियमों को धीरे-धीरे अपने जीवन में उतारें:
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1 सुबह जल्दी उठें।
2. सैर पर जायें और योगासन करें। अगर हो सके तो खुले वातावरण में योग करें।
3. खाने –पीने में फल, जूस और पानी की मात्रा ज्यादा रखें।
4. दिन में बैठे या सोते न रहे। और अगर आप नौकरी करते हैं तो हर 1 घंटे में कम से कम 5-7
मिनिट वाक जरुर करें।
5. रात को खाने के तुरंत बाद न सोयें। कम से कम 1 घंटे का अन्तराल रखें।
6. हो सके तो तला हुआ या ज्यादा मिर्च मसाले वाला खाना न खाएं। कभी-कभी इस प्रकार का
भोजन खा सकते हैं।
अगर देखा जाये तो यह सब अपने दैनिक जीवन में उतरना या अपनी आदतों को बदलना इतना आसान नहीं होता। लेकिन अगर ठान लिया जाये तो परिवर्तन किया जा सकता है। अब अगर हम योगासन की बात करें तो योग के द्वारा कई बड़ी से बड़ी बिमारियों को भी नष्ट किया जा सकता है और टाला जा सकता है। अगर आप समय निकालकर योग करते हैं तो यह आपके सम्पूर्ण जीवन के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासन के प्रकार अलग –अलग होते हैं। लेकिन कुछ योगासन हमारे पूरे शरीर के लिए लाभदायक होते हैं। वैसे तो आसन के दो प्रकार होते हैं:-
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गतिशील आसन एवं स्थिर आसन।
गतिशील आसन:
गतिशील योगासन में शरीर पूर्ण रूप से पूर्ण शक्ति के साथ गतिशील होता है। जैसे सूर्यनमस्कार को जल्दी-जल्दी करना इत्यादि।
स्थिर आसन:
इस आसन में शरीर की गति कम होती है या शरीर गतिशील ही नहीं होता।
अब जानते हैं योगासन के नाम:
स्वस्तिकासन:
यह योग योगासन के प्रकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस आसन के बहुत फय्यदे हैं जैसे पैरों के दर्द से राहत एवं मन की एकग्रता। इस आसन को करने की एक विशेष विधि होती है:
1.रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और सीधे बैठ जाये।
2. दोनों पैरों को सामने फैला लें। इसके बाद अपना बायाँ पैर मोड़कर एड़ी को दाएँ नितम्ब के करीब लायें। ऐसे ही दाएँ पैर को मोड़कर एड़ी को बाएँ नितम्ब पर रखें।
3. अब दायें हाथ को ऊपर उठाएं और उसे पीठ की ओर मोड़िये एवं बाएँ हाथ को अब पीठ के पीछे नीचे लाकर अपने दायें हाथ को पकडें। ध्यान रहे कि गर्दन और कमर मुड़े नहीं।
4. ऐसे ही दोनों हाथों से स्थिति बदलते हुए यह आसन कम से कम 10 मिनिट तक करें। एवं एक तरफ से कुछ सेकंड इसी स्थिति में बने रहे।
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योगमुद्रासन:
आज के समय में हर कोई सुन्दर दिखना चाहता है एवं हर कोई चाहता है कि वह बुद्धिमान हो। इन सबके के लिए योग के इस योगासन के प्रकार का विशेष महत्व है। इससे एकाग्र मन, बिनम्र व्यव्हार एवं सुन्दरता की प्राप्ति होती है। इस योगासन को करने की भी एक विधि होती है।
1.पहले सीधे बैठ जायें।
2.इसके बाद बाएँ पैर को ऊपर उठाएं एवं दायीं जांघ पर ऐसे लगायें कि बाएँ पैर की एडी नाभि से स्पर्श करे।
3. अब दायें पैर को ऊपर उठाएं एवं ऐसे आगे लायें कि वह बाएँ पैर की एडी से स्पर्श करती हुई नाभि के नीचे मिल जाए।
4. अब दोनों हाथों को पीछे लेकर जायें एवं बाएँ हाथ की कलाई अपने दाहिने हाथ से पकड लें।
5. अब श्वास को छोड़ते हुए सामने की ओ़र झुकें और नाक को जमीन से स्पर्श कराने का प्रयास
करें।
6. कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहने के बाद अपनी अवस्था में वापस आ जायें।
7. इस आसन को कम से कम 10 मिनिट अवश्य करें।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम:
यह योग के ही अंन्तर्गत आने वाला योगासन का एक प्रकार है जो शरीर के लिए बहुत ही अच्छा योग है। इस प्राणायाम के बहुत से फायदे हैं जैसे: रक्त शुद्ध होना, तेजस्वी एवं फुर्तीला शरीर, रक्त संचार इत्यादि। अब इस प्राणायाम को करने के भी कुछ विशेष नियम होते हैं।
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1. सबसे पहले सीधे बैठ जायें।
2. बायीं नासिका से सांस धीरे-धीरे अन्दर की तरफ लें। एवं दूसरी नासिका को हाथ की एक ऊँगली से धीरे से ऊपर से दबाकर बंद कर लें। लेकिन ध्यान रखें कि नाक को तेज़ न दबाएँ।
3. कुछ सेकंड सांस अन्दर ही रोकें। एवं अपने दायें स्वर से श्वास को बाहर की तरफ छोडें।
4. जिस स्वर से श्वास को बाहर की तरफ छोड़ा है उसी स्वर से श्वास लें। और दूसरा स्वर हाथ की उनकी से बंद करें। कुछ देर श्वास को रोके फिर दूसारे स्वर से बाहर छोडें।
5. अब ऐसा स्वर में बदलाब करके करें। कम से कम 10 मिनिट तक यह प्राणायाम करें।
6. इस प्राणायाम को करने में जल्दबाजी न करने आप जितनी देर श्वास को अन्दर रोककर रख सकते हैं रखें। लेकिन ज्यादा देर भी श्वास अन्दर न रोकें।
ये सभी योगासन और प्राणायाम आप सभी को स्वस्थ जीवनशैली देने में कारगार सिद्ध होंगे।
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