कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। जब फेफड़ों में कैंसर शुरू होता है, तो इसे फेफड़ों का कैंसर कहा जाता है। फेफड़ों का कैंसर असामान्य कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास से होता है जो कि एक या दोनों फेफड़ों में हो सकता है। आम तौर पर कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास के होने की सम्भावना उन कोशिकाओं में होती है जो हवा के मार्ग के सम्पर्क में अधिक आती हैं। असामान्य कोशिकाएं स्वस्थ फेफड़ों के ऊतक में विकसित नहीं होती हैं परन्तु असामान्य कोशिकाएं तेजी से विभाजित होकर ट्यूमर में बदल जाती हैं। जब ये ट्यूमर बड़े और असंख्य हो जाते हैं, तब फेफड़ों की ऑक्सीजन के साथ रक्त प्रवाह करने की क्षमता कम हो जाती हैं। ऐसी अवस्था में साँस लेने में तकलीफ होने लगाती है।
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मेटास्टेस : फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों में शुरू होता है और शरीर में लिम्फ नोड्स या अन्य अंगों (जैसे मस्तिष्क) में फैल सकता है। जब कैंसर कोशिकाएं एक अंग से दूसरे अंग में फैलती हैं, तो उन्हें मेटास्टेस कहा जाता है।
फेफड़ों के कैंसर के प्रकार : फेफड़ों के कैंसर को आमतौर पर स्माल सेल्स और नॉन स्माल सेल्स दो मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है। फेफड़ों के कैंसर के प्रकार अलग-अलग होते हैं और उनका इलाज भी अलग-अलग होता है। नॉन स्माल सेल्स फेफड़ों का कैंसर स्माल सेल्स कैंसर से अधिक आम होता है।
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फेफड़ों के कैंसर के लक्षण:
- लगातार खांसी या खांसी के साथ खून आना।
- सांस लेने में परेशानी होना।
- थोड़ा काम करने पर भी थकावट महसूस होना।
- सीने में हमेशा दर्द रहना।
- हड्डियों में दर्द महसूस होना।
- शरीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने से खून का जमना ।
- चेहरे या गले मे सूजन रहना।
- आवाज में बदलाव महसूस करना।
- भूख का कम लगना।
- हरदम घबराहट जैसा महसूस करना।
- सिर में दर्द का बना रहना।
- निमोनिया की समस्या होना।
- खाना खाने में परेशानी होना।
- वजन का धीरे-धीरे कम होना।
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रिपोर्ट: डॉ.हिमानी