दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है जिसके कारण लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, प्लमोनरी आदि खतरा बढ़ गया है। वहीं बच्चों में निमोनिया का खतरा भी बढ़ रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक घर के अंदर रहना ही इससे बचने के एकमात्र विकल्प है। गुड जिसके कारण प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
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अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद
गुड़ बहुत पुराने समय से भारतीय खान-पान का हिस्सा रहा है। गांवों में आज भी लोग खाना खाने के बाद एक छोटा टुकड़ा गुड़ खाते हैं, क्योंकि ये पाचन में मदद करता है और शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रखता है। गुड़ अस्थमा और सांस की दूसरी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों के लिए फायदेमंद है क्योंकि इसमें एंटी-एलर्जिक गुण होते हैं।
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सांस की तकलीफ होने पर गुड़ का प्रयोग
प्रदूषण के कारण लोगों को सबसे ज्यादा तकलीफ सांस लेने में हो रही है। जहरीली हवा के कारण कई बार छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को दम घुटने का एहसास होता है। ऐसे में आप गुड़ के प्रयोग से राहत पा सकते हैं। इसके लिए एक चम्मच मक्खन में थोड़ा सा गुड़ और 5 चम्मच हल्दी मिलाकर रख लें और दिन में 3-4 बार इसका सेवन करें। ये फार्मुला आपके शरीर में मौजूद जहरीले पदार्थों को बाहर निकालेगा और बॉडी को टॉक्सिन फ्री बनाएगा। सांस संबंधी बीमारियों में भी गुड़ का सेवन फायदेमंद है। पांच ग्राम गुड़ को इतनी ही मात्रा के सरसों तेल में मिलाकर खाने से सांस से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है।
प्रदूषण के प्रभावों को कम करेगा गुड़
टीओआई में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडस्ट्रियल टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च सेंटर द्वारा हाल में हुए एक शोध में पाया गया कि धूल और धुंएं में काम करने वाले जो वर्कर्स रोजाना गुड़ का सेवन करते थे, उनमें प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की संभावना काफी कम पाई गई। इसका कारण यह है कि गुड़ प्राकृतिक रूप से शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और शरीर की गंदगी को साफ करता है। ऐसे में रोजाना गुड़ के सेवन से आप प्रदूषित हवा से शरीर पर होने वाले प्रभावों से काफी हद तक बचे रह सकते हैं।
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