मूत्रमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बहुत अधिक प्यास लगने के साथ साथ बहुत अधिक मात्रा में मूत्र का उत्सर्ज़न होता है। इस अवस्था में तरल पदार्थ के कम सेवन करने पर भी मूत्र विसर्जन में कोई कमी नहीं आती है। मूत्रमेह, एक दुर्बल और दुर्लभ बीमारी है । मूत्रमेह की अवस्था में रोगी के मूत्र में हल्की चीनी की भी मात्रा उपथित हो सकती है। इस अवस्था में मनुष्य बहुत अधिक देर तक अपने मूत्राशय में पेशाब को नहीं रोक सकता है, इसी कारण रोगी इस अवस्था में बार बार मूत्र का त्याग करता है। वयस्कों और बच्चो में मूत्रमेह का प्रमुख कारण अनियंत्रित डायबिटीज मेलिटस है।
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इस बीमारी में ग्लूकोस का लेवल बहुत अधिक बढ़जाता है और मूत्र के साथ बाहर निकालने लगता है जो कि ओस्टमिक डियूरेइस का कारण होता है। पानी ग्लूकोज़ कंसंट्रेशन को सही रूप से बनाये रखने का प्रयास करता है, जिसकी वजह से बहुत अधिक मात्रा में मूत्र आता है। मूत्रमेह में व्यक्ति सामान्य अवस्था की अपेक्छा अधिक मूत्र करता है। सामान्य आदमी दिन भर में कम से कम 2 लीटर मूत्र का त्याग करता है जबकि इस अवस्था में व्यक्ति दिन भर में 2.5 से लेकर 3 लीटर तक मूत्र का त्याग करता है। मूत्रमेह का कारण टाइप 1 और टाइप 2 दोनों प्रकार कि डायबिटीज होती है और यदि मूत्रमेह का सही इलाज़ नहीं होता है तो इस अवस्था में हमारी किडनी कि कार्य प्रणाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
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बीमारी का कारण :
- मूत्रमेह का मुख्य कारण अधिक मात्रा में ऐसे तरह पदार्थो का सेवन करना होता है। जिसमे कैफीन और अल्कोहल उपस्थित होते है।
- इस रोग का दूसरा प्रमुख कारण डायबिटीज mellitus है। किडनी रक्त में शुगर को भेजने से पहले थोड़ा अवशोषित करती है इसके बाद मूत्र बनाने के लिए रक्त को छानती है। डायबिटीज मेलिटस में ग्लूकोज़ की मात्रा रक्त में अधिकांश रूप से अधिक पायी जाती है। जिसकी वजह से ग्लूकोज़ पूरी तरह से शोषित नहीं हो पाता है और अधिक ग्लूकोज़ यूरिन के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है, जिसकी वजह से रोगी अधिक पानी पीता है और अधिक मूत्र का त्याग करता है।
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नोट: आप भी यदि दिन भर में अधिक मूत्र के शिकार हो रहे है और आके मूत्र विसर्जन के स्थान पर चीटियां दिखती है तो आपके रक्त में ग्लूकोज़ कि मात्रा का अधिक हो सकती है जो की डायबिटीज का कारण हो सकता है। अतः अपने डॉक्टर से सलाह लेने में समझदारी होगी ।
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रिपोर्ट: डॉ. हिमानी