शहरी जीवनशैली के साथ साथ गांव-देहात में भी लोगो के बीच में ब्लड प्रेशर की समस्या आम हो गयी है।इस बीमारी को ‘साइलेंट किलर’ भी कहते हैं क्योंकि ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं चल पाता’ है कि वे इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं क्योंकि अधिकतर इसके लक्षण स्पष्ट ही नहीं होते है। अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं कराया गया तो यह प्राणघातक भी हो सकता है। ब्लड प्रेशर दो प्रकार का होता है- हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर। जितना नुकसानदेह हाई ब्लड प्रेशर होता है हमारे लिए उतना ही नुकसानदेह लो ब्लड प्रेशर होता है। यह बीमारी 20 से 30 की उम्र के लोगो में भी पायी जाने लगी है।
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जानते है हाई और लो ब्लड प्रेशर के बारे में :
ब्लड प्रेशर : हमारी रक्त वाहिनियों पर पड़नेवाले खून के दबाव को ब्लड प्रेशर कहते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर : हमारी धमनियों में बहने वाले रक्त का एक निश्चित दबाव तय होता है, परन्तु जब ब्लड का दबाव अधिक बढ़ जाता है तो धमनियों पर भी इसका दबाव बढ़ जाता है तब इसको हाई ब्लड प्रेशर कहते है। इस प्रकार के ब्लडप्रेशर को हाइपरटेंशन के नाम से जाना जाता है। लगातार उच्च रक्तचाप रहने से हमारे शरीर को बहुत सी हानि हो सकती है। इसके कारण कभी कभी हार्ट फेल होने की भी संभावना हो सकती है। ब्लड प्रेशर को दो संख्याओ मे नापा जाता है। जैसे की एक समान्य व्यसक का ब्लड प्रेशर 120/80 एमएम/एचजी होता है और यह 140/90 एमएम/एचजी तक हो जाये तब इसे उच्च रक्त चाप की श्रेणी में रखा जाता है।
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लो ब्लड प्रेशर: जब किसी व्यक्ति के शरीर में रक्त-प्रवाह सामान्य रूप से कम हो तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते है। देखा जाये तो लो ब्लडप्रेशर कोई बीमारी नहीं है। परन्तु यह हमारे शरीर में अन्य दूसरी गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है। लो ब्लडप्रेशर, में ऑक्सीजन तथा अन्य पोषक तत्व हमारे दिमाग तक सही प्रकार से नहीं पहुंच पाते है। इस प्रकार के ब्लडप्रेशर को हाइपोटेंशन के नाम से जाना जाता है। लो ब्लड प्रेशर में रक्तचाप घटकर 90/60 या इससे कम हो जाता है। ऐसी अवस्था में दिल, किडनी, फेफड़े और दिमाग आंशिक रूप से या पूरी तरह से काम करना भी बंद कर सकते हैं।
रिपोर्ट: डॉ. हिमानी