पाँच सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन

by Darshana Bhawsar
Pregnancy

गर्भावस्था वो समय होता है जब महिलाएँ कई तरह के परिवर्तन महसूस करती हैं और कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से गुजरती हैं। जैसे जैसे गर्भवती महिला का समय बढ़ता है  उतना ही अधिक परिवर्तन शारीरिक अवस्था में आने लगता है।  यहाँ हम देखेंगे कि पाँच सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन। वैसे तो चार सप्ताह के बाद पाँचवें सप्ताह में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं आते लेकिन बच्चे के आकार और माता के शरीर में परिवर्तन दिखाई देते हैं। वैसे तो यह समय होता है जब गर्भावस्था में किसी प्रकार का संदेह नहीं रह जाता।

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पाँच सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन:

Source: Firstcry Parenting
  • भ्रूण का तेज़ी से विकास:

इस समय शिशु गर्भ में बहुत तेज़ी से बढ़ना प्रारंभ होता है और उसके शरीर में बदलाब होते हैं जैसे उसकी आंखें बनना शुरू हो जाती हैं। इस समय शिशु की तीन परतें होती है मेसोडर्म, इंडोडर्म और एक्टोडर्म। बाद में ये सभी परतें अलग भाग में विकसित होती हैं । यह पाँच सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में से सबसे बड़ा परिवर्तन हैं। अब शिशु की कई कोशिकाएं बनना प्रारंभ हो जाती है जैसे दिमाग की नसें, तंत्रिका नली, पीठ की हड्डी इत्यादि।

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  • बच्चे का आकार:

इस समय बच्चे में एक अद्भुत प्रकार का विकास होता है। उसके सारे अंग तो बनने ही लगते हैं लेकिन उसका आकार एक नारंगी के बीज या कह सकते हैं सेब के बीज जैसा रहता है। शिशु इस समय एक मेंढक के आकार का नज़र आता है आधे अधूरे से उसके अंग अद्भुत दिखाई देते हैं। और धीरे धीरे यह पाँच सप्ताह का समय भी निकलने लगता है।

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  • माता के शरीर में आने वाले परिवर्तन:

इस समय माता के शरीर में भी परिवर्तन आता है और कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं जैसे चक्कर आना, नींद अधिक या कम आना, मूत्र में कभी कभी रक्त की बूंदें आना, मूत्र अधिक आना, स्तन में दर्द होना इत्यादि। इस प्रकार के कई बदलाब महिलाओं के शरीर में पाँच सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में दिखाई देते हैं। लेकिन इन सभी लक्षणों से पता चलता है कि महिला गर्भवती है और शिशु स्वस्थ है।

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तो पाँच सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में ये सभी शामिल है। जैसे जैसे शिशु का विकास होगा वैसे वैसे माता का शरीर भी परिवर्तित होगा और एक गर्भवती महिला इस बात का अहसास बखूबी कर सकती है। माँ अपने गर्भ से अपने शिशु को महसूस कर सकती है। इसलिए ही पूरी दुनिया में माँ को भगवान् का दर्जा दिया जाता। ये गर्भावस्था के नौ महीने माता और शिशु दोनों के लिए ही चुनौती भरे और चमत्कारिक माने जाते हैं। हर सप्ताह और महीने कुछ न कुछ परिवर्तन माता और शिशु में देखने को मिलता ही है जो दोनों के स्वथ्य होने की पुष्टि करता है।

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