- थर्ड ट्राइमेस्टर क्या है..
- ट्राइमेस्टर होने वाले बदलाव क्या है….
- बातों की रखें सावधानियां
मां बनना हर महिला का सपना होता है, लेकिन जब वह मां बनती हो तो उसके शरीर में बहुत से बदलाव होते है। महिला को अपनी प्रेग्रेंसी के 9 महिने अपना खास ध्यान रखना चाहिए। प्रेग्नेंसी के तीसरे ट्राइमेस्टर में एब्डॉमिन स्ट्रेच मार्क्स पड़ने शुरू हो जाते हैं। इसलिए ऐसे समस में त्वचा पर मॉयस्चराइजर जरुर लगाएं। प्रेग्रेंसी के थर्ड ट्राइमेस्टर में आते ही बच्चे को कैलरी की जरूरत बढ़ जाती है इसलिए हर तीन घंटे पर खाना जरूरी होता है। इस ट्राइमेस्टर में हर महीने 1-2 किलो वजन बढ़ना जरूरी होता है।
ट्राइमेस्टर होने वाले बदलाव क्या है….
1- प्रेग्रेंसी के तीसरे ट्राइमेस्टर में भ्रूण लगभग विकसित हो चुका होता है। इसलिए महिला को इस समय अधिक आराम करना चाहिए। आराम करने से तनाव दूर होता है और निराशा व चिंता नहीं होती। सकारात्मक सोच रखें।
2- ऐसे समय में महिला को प्रतिदिन 300-450 अतिरिक्त कैलरी की जरूरत होती है। इसलिए डेयरी उत्पाद, नट्स, साबुत अनाज और दलिया वगैरह अधिक खाते रहें इससे आपका बच्चा भी सेहतमंद रहेगा।
3- भ्रूण का विकास तेजी से होता है, इसलिए पोषक तत्व बहुत जरूरी हैं। फलों का जूस, हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे, मछली आदि का सेवन जरूरी है।
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इन बातों की रखें सावधानियां
1- तीसरे ट्राइमेस्टर में बच्चे के मूवमेंट का ध्यान रखना जरूरी है। किसी भी प्रकार की असुविधा पर डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न बरतें। अगर आप नोटिस करती हैं कि बच्चे की फीटल किक कम हुई है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चा कम मूवमेंट कर रहा है तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है।
2- अगर वजाइना से अधिक डिस्चार्ज, गंध, बुखार, ठंड लगना यूरिन करते समय दर्द, सिर दर्द आदि समस्या हो तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
3- बच्चे के आगमन की तैयारी के लिए खुद को तैयार करें। बच्चे के लिए क्या सही है और क्या गलत है, इस बारे में जानकारी हासिल करें।
4- ब्रेस्ट फीडिंग, शिशु की देखभाल, आदि जानकारियां हासिल करें।
रुटीन चेकअप्स
-एब्डॉमिन का आकार चेक किया जाता है।
-बेबी की पोजीशन।
-हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स।
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-एचपी शुगर व यूरिन टेस्ट।
-37वें सप्ताह में कलर्ड डॉप्लर अल्ट्रासाउंड किया जाता है ताकि पता चल सके कि बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन कितनी जा रही है।