माँ बनने का अनुभव करना हर महिला के जीवन के सबसे खूबसूरत पहलुओं में से एक होता है। हालांकि इस चरण से गुजरने में अनेकों परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है, परन्तु मातृत्व का सुख इन सब परेशानियों से हमेशा ऊपर होता है। अपने शिशु को स्वस्थ जीवन देने के लिए माँ को अनेकों प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। केवल एक स्वस्थ शिशु को जन्म देने तक ही माँ का कर्तव्य पूरा नहीं होता है, जन्म के बाद उसको स्वस्थ शरीर और अच्छी सेहत देना भी माँ की जिम्मेदारी होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जब तक बच्चे 6 महीने के नहीं हो जाते है, तब तक उनको माँ द्वारा स्तनपान कराना जरुरी होता है।
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माँ के दूध में आवश्यक पोषक तत्व, खनिज, विटामिन, प्रोटीन, वसा, एंटीबाडीज और ऐसे प्रतिरोधक तत्व उपस्थित होते हैं, जो नवजात शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक होते है। शिशु के जन्म के छह माह बाद तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार की भूमिका अदा करता है। देखा जाए तो शिशु के जन्म के पश्चात स्तनपान पूरी तरह से एक स्वाभाविक क्रिया है। कई बार यदि माताओं को स्तनपान के बारे में सही जानकारी नहीं होती है तो सही ज्ञान का आभाव उनके शिशु के लिए कुपोषण एवं संक्रमण जैसे रोग का कारण बन सकता है। माँ का दूध बच्चे के लिए केवल पोषण ही नहीं बल्कि जीवन की अमृत धारा है, इससे मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शिशु के लिए स्तनपान क्यों जरूरी है?
- माँ के दूध में उपस्थित प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम आदि तत्व शिशु के शारीरिक विकास में मददगार साबित होते हैं।
- माँ के दूध में उच्च प्रोटीन और रोगप्रतिरोगी गुण मौजूद होते हैं जो शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, जो शिशु को अनेकों प्रकार की बिमारियों से दूर रखने में मदद करती है।
- माँ के स्तनपान से शिशु को प्रोबियोटिक मिलते हैं, जो शिशु के पाचन तंत्र में होने वाले इंफेक्शन को दूर करते हैं तथा बच्चे के पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करते हैं जिससे शिशु के पेट संबंधी परेशानियां होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
- माँ के दूध में लांगचेन पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड उपस्थित होते हैं, जो शिशु के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व उपथित होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्व को बाधता है जिसे के कारण शिशु की आंतों में रोगाणु पनप नहीं पाते है।
- जिन शिशुओं को माँ का दूध बचपन में पूर्ण रूप से नहीं मिलता है उन बच्चों में कम उम्र से ही बीमारियां शुरू हो जाती है जैसे मधुमेह, कुपोषण, निमोनिया, संक्रमण से दस्त आदि।
- शिशु का वजन सही बना रहता हैं।
- स्तनपान कराने से स्तन के लिम्फ नोड्स सक्रिय हो जाते हैं। ये स्तन कैंसर के खतरे को कम कर देते हैं। रिसर्च के अनुसार जो मां अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें स्तनपान कराने वाली मां के मुकाबले ब्रेस्ट कैंसर होने का ज्यादा खतरा रहता है।
- कई बार जब शिशु को बोतल से दूध पिलाया जाता है तो बोतल के सही रूप से साफ़ न होने पर इन्फ़ेक्सन होने की सम्भावना बढ़ जाती है ऐसे में माँ का स्तनपान बच्चे को एक स्वस्छ वातावरण प्रदान करता है। इसके साथ ही ब्रेस्टफ़ीड कराने से मां को बार बार दूध उबालने, बोतल को धोने और स्टरलाइज़ करने जैसे काम करने से भी मुक्ति मिलती है।
- मां के दूध में मौजूद में उचित मात्रा में कोलोस्ट्रम पाया जाता है जो कि ज़िंक, कैल्शियम और विटामिन्स से भरा होता है, हम कह सकते हैं कोलोस्ट्रम लैक्सेटिव के तौर पर काम करता है, जिसके सेवन से शिशु को पहला मल होता है। यदि शिशु ने ठीक प्रकार से माँ के दूध का सेवन नहीं किया तो उसको मॉल आने में समस्या हो सकती हैं जिससे शिशु को पीलिया होने का ख़तरा हो सकता है।
- मां के दूध का तापमान शिशु के लिए एकदम सही होता है, जबकि बोतल में दूध को कमरे के तापमान तक लाने के बाद ही शिशु को पिलाना होता है।
स्तनपान करवाते समय इन बातों का रखें ध्यान :
पहली बार मां बनने पर शिशु को स्तनपान व ब्रेस्ट फीडिंग करवाते समय कई महिलाओं को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि अकसर महिलाओं को किस प्रकार से स्तनपान करवाना चाहिए इसके बारे में सम्पूर्ण रूप से पता नहीं होता है। इसलिए नई माँ को पता होना चाहिए कि स्तनपान कराते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बेसिक टिप्स स्तनपान के दौरान :
- स्तनपान कराते समस्य माँ को अपने और शिशु दोनों के आराम का ध्यान रखना चाहिए। क्योकि अकसर प्रसव के बाद महिला को ज्यादा देर तक एक ही जगह पर अधिक देर तक बैठने में परेशानी हो सकती हैं। इसलिए महिलाओं को स्तनपान करवाते समय आरामदायक स्थान का चुनाव करना चाहिए इसके साथ ही अपनी गोद में सिरहाना लेकर शिशु को लिटाना चाहिए ताकि आपका शिशु भी आराम से दूध पी पाए। कोशिश करें कि अपनी कमर के पीछे भी एक सिरहाना रखें और किसी चीज से कमर को टिकायें ताकि आपकी कमर में दर्द न हो ।
- शिशु को स्तनपान करवाते समय इस बात का ड़याँ रखें कि स्तन का आगे का उभरा हुआ भाग आपके शिशु की पकड़ में अच्छे से आये, इसके लिए आपको इस प्रकार थोड़ा झुक कर बैठना चाहिए जिससे आपके और शिशु के बीच में बहुत अधिक दूरी न हो। आपको अपनी दो उँगलियों से स्तन को अच्छे से पकड़ कर रखना चाहिए ताकि आपका शिशु आराम से दूध पी पाएं।
- आपको अपने शिशु को आराम से अपनी हथेली से सिर और गर्दन को सहारा देते हुए पकड़ना चाहिए जिससे शिशु स्तनपान करते समय हिले डुले नहीं और सही प्रकार से दूध पी पाए।
- इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि स्तनपान करवाते समय आपके स्तन का पूरा भार आपके शिशु की नाक पर ना पड़े। अपने हाथ से अपने स्तन को पकड़ कर रखें क्योंकि कई बार स्तन का भार शिशु की नाक पर पड़ने से शिशु को सांस लेने में परेशानी हो सकती हैं।
- स्तनपान करवाते समय शांत जगह बैठने का प्रयास करें क्योकि शोर गुल के कारण आपके शिशु का ध्यान भटक सकता है और वह दूध पीना छोड़ सकता है जिससे वह जल्दी ही भूखा हो जायेगा।
- शिशु जब स्तनपान कर रहा हो तो उस समय उससे स्तन छुड़ाने का प्रयास न करें, यदि शिशु खुद अपनी मर्जी से स्तन छोड़ दे तब ही उसको दूसरा स्तन देना चाहिए। यदि दूसरे स्तन से भी शिशु का पेट भर जाए तो जब थोड़ी देर बाद फिर से शिशु को दूध पिलाएं तो शुरुआत दूसरे स्तन से करनी चाहिए।
- स्तनपान कराते समय यदि शिशु को हिचकी या खांसी आती है तो ऐसे में तुरंत स्तनपान करवाना रोक देना चाहिए क्योंकि इससे आपके शिशु को उल्टी भी हो सकती है। तोड़े देर रुकने के बाद ही फिर से शिशु को स्तनपान करवाना चाहिए।
- नवजात शिशु को हर 2 घंटे में मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है और माँ द्वारा स्तनपान तब तक करना चाहिए जब तक कि शिशु खुद से दूध पीना बंद न कर दे क्योकि यदि वह अच्छे से दूध नहीं पियेगा तो वह बार-बार भूख के कारण रोता रहेगा।
माँ के स्तनों में दूध कम होने के कारण:
- गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से
- बहुत अधिक दवाइयों के सेवन के कारण
- शिशु को दूध कम पिलाने के कारण
- शिशु को रात में बार बार दूध पिलाने के कारण
- माँ के बहुत अधिक तनाव लेने के कारण
- माँ के स्तनों की शल्य चिकित्सा होने के कारण
- माँ के शरीर में खून की कमी के कारण
- माँ के शरीर में थायराइड का स्तर असंतुलित होने के कारण
- माँ के मधुमेह से पीड़ित होने के कारण
- हाइपोपिट्यूटेरिस्म से ग्रषित होने के कारण
- जन्म नियंत्रण दवाओं के सेवन करने के कारण
- माँ के बहुत अधिक धूम्रपान करने के कारण
- माँ के शरीर में आयरन की कमी होने के कारण
- माँ का बहुत अधिक मोटा होना भी शरीर में दूध उत्पादन की प्रक्रिया को धीमा करता है।
स्तनों में प्राकृतिक रूप से दूध बढ़ाने के उपाय :
- वार्म कंप्रेस: अधिकांशतः देखा गया है कि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से न होने के कारण स्तन ग्रंथियों द्वारा स्तनों के निप्पल में दूध का प्रवाह सही प्रकार से नहीं हो पाता है यही कारण है कि शिशुओं को फीड कराने से पहले स्तनों पर वार्म कंप्रेस करने से ब्लड सर्कुलेशन सही हो जाता है और स्तनों के निप्पल से दूध सही प्रकार से निकलने लगता है और आपका बच्चा पेट भरकर दूध पी पाता है। वार्म कंप्रेस करने के लिए आपको अपने ब्रेस्ट पर पांच मिनट तक मसाज करना चाहिए। इसके बाद आप एक साफ कपड़ा लेकर उसे हल्के गर्म पानी में डुबोएं व हल्के हाथों से निपल्ल के आस पास उस कपड़े की सहायता से मसाज करें। कम से कम दस मिनट तक मसाज करना लाभकारी होता है।
- शतावरी: शतावरी एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जानी जाती है।शतावरी के सेवन से माँ के शरीर में दूध बनाने वाले हॉर्मोन्स का स्तर बढ़ता है , जिससे स्तन में दूध की मात्रा के साथ उसकी गुणवत्ता मे भी सुधार होता है। ये बहुत शक्तिशाली जड़ी बूटी मानी जाती है, इसलिए इसे नियमित मात्रा में खाना स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए लाभकारी होता है। आप इसकी सब्जी बनाकर भी खा सकती हैं।
- ओटमील : ओटमील फाइबर से भरपूर्ण होता है और फाइबर ऊर्जा प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा फाइबर आपका पाचन ठीक रखने में भी बहुत महतव्पूर्ण भूमिका अदा करता है। ओटमील, कैल्शियम और आयरन का भी समृद्ध स्रोत होता है, जो गर्भावस्था के बाद एनीमिया से ग्रसित महिलाओं के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। अध्ययनों के अनुसार यदि माँ एनीमिया से ग्रषित है तो उसके शरीर में दूध का कम उत्पादन भी कम हो सकता है। ओटमील आयरन का एक अच्छा स्रोत है, इसके सेवन से रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या तेजी से बढ़ती है जिससे स्तन दूध के उत्पादन में भी वृद्धि होती है। ओटमील एक आरामदायक भोजन भी है जो बनाने में बहुत आसान होता है।अतः स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रोज सुबह के नाश्ते में एक बाउल ओटमील खाना लाभकारी होता हैं।
- सौंफ: आयुर्वेद के अनुसार सौंफ का सेवन स्तनों में दूध की कमी को दूर करने में बहुत ही मददगार होता है। इसके अतिरिक्त सौंफ़ का उपयोग गैस और पेट दर्द को कम करने के लिए भी बहुत ही उपयोगी माना जाता है। डॉक्टर्स के अनुसार माँ द्वारा सौंफ के सेवन से शिशु को भी स्तन के दूध के ज़रिए इसका लाभ मिलता है । सौंफ का सेवन करने के लिए एक कप गर्म पानी में एक चम्मच सौंफ डालें और अब इस कप को आधे घंटें के लिए ढककर छोड़ दें। आधे घंटे बाद पानी को छानकर पीएं। इस पानी का सेवन कम से कम एक महीने में दिन में दो बार करें लाभ अधिक मिलेगा। अगर आप चाहें तो सौंफ के दानों को अपने भोजन में भी शामिल कर सकती हैं।
- अजवाइन : अजवाइन हर भारतीय रसोई में एक प्रमुख मसाले के रूप में जानी जाती है। यह स्तनपान कराने वाली माँ का दूध बढ़ाने के साथ-साथ, पेट दर्द, गैस, कब्ज जैसी अनेकों प्रकार की पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी बहुत लाभकारी होती है। अजवाइन का सेवन आप रोटी या पूड़ी के आटे में डालकर उसकी रोटियां या पूड़ियाँ बनाकर कर सकते हैं या सब्जियों में भी डालकर खा सकती हैं। इसके अलावा एक चम्मच अजवाइन में एक चुटकी नमक डालकर पानी के साथ निगल सकती हैं। आप अजवाइन की चाय भी बनाकर इसका सेवन कर सकती हैं , अजवाइन की चाय बनाने के लिए आप एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डाल कर उबालें, और इसे छानकर पीएं, इससे दूध बढ़ने के साथ- साथ माँ व शिशु को पेट की गैस से भी राहत मिलेगी।
- मेथीदाना : मेथी के बीज ओमेगा-3 से भरपूर्ण होते हैं, जो स्तनपान कराने वाली माँ के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ओमेगा-3 वसा शिशु के मस्तिष्क के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।इसके अतिरिक्त मेथी के बीज में आयरन की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है, जो दूध उत्पादन वृद्धि के लिए आवश्यक तत्व माना जाता है। मेथी का साग भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है क्योकि मैथी के साग में बीटाकैरोटीन, बी विटामिन, आयरन और कैल्श्यिम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। मेथी का सेवन आप विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के बनाने के समय भी कर सकते हैं , विशेषकर सब्जियों और मांस के व्यंजनों में इसका सेवन किया जाता है। इसे आटे में मिलाकर परांठे, पूरी या भरवां रोटी भी बनाई जा सकती है।
- लौकी व तोरी : लौकी, टिंडा और तोरी जैसी सब्जियां स्तन दूध की आपूर्ति को बढ़ाने में बहुत ही मददगार होती है। ये सभी सब्जियां न केवल पौष्टिक एवं कम कैलोरी वाली होती हैं, बल्कि ये बहुत से विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर्ण होने के साथ साथ, आसानी से पच भी जाती हैं।
- एप्रिकोट: प्रेगनेंसी के बाद शरीर में हार्मोन स्थिर करने के लिए सूखे एप्रिकोट खाना बहुत ही लाभदायक होता है, इसमें मौजूद रसायन आपके हार्मोन को बैलेंस बनाएं रखते हैं। इसके साथ ही इसमें पाए जाने वाले फाइबर और केल्शियम की उच्च मात्रा दूध बढ़ाने में मदद प्रदान करती है।
- दूध: दूध आपके आहार का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, क्योकि इसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा उपस्थित होती है, जिससे आपके शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं हो पाती साथ ही कैल्शियम से भरपूर्ण होने के कारण इसका सेवन करने से स्तनपान कराने वाली माँओं के दूध की मात्रा भी बढ़ती है। अतः स्तनपान कराने वाली माँओं को सुबह और रात को रोज़ एक गिलास दूध पीना चाहिए।
- चना: लगभग 50 ग्राम काबुली चने को रात को दूध में भीगा के रख दें और सुबह शाम दूध को छानकर और उसे गर्म करके पीने और चनो को चबा कर खाने से ढूढ़ का उत्पादन बढ़ जाता है |
- अंगूरः माँ के दूध में बृद्धि के लिए अंगूर का सेवन अमृत की तरह प्रभावशाली है। ताजा अंगूर नित्य खाने से स्तनों में काफी मात्र में दूध बनने लगता है।
- अंडा: डिलीवरी के बाद महिलाओं को प्रोटीन की सबसे अधिक जरूरत होती है और अंडा प्रोटीन का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता हैं इससे शरीर को ताकत मिलती है और यह विटामिन डी की कमी को भी दूर करता है|
- सूखे मेवे: मां बनने के बाद जितना हो सके सूखे मेवों का सेवन करना नई माँ के लिए लाभकारी होता है क्योकि काजू, बादाम, पिस्ता जैसे मेवे स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाने में लाभकारी होते हैं। माना जाता है कि बादाम और काजू स्तन दूध के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। इनमें भरपूर मात्रा में कैलोरी, विटामिन और खनिज उपस्थित होते हैं, जिसके सेवन से नई माँ को ऊर्जा व पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त स्तनपान कराने वाली नई माओं के लिए पंजीरी, लड्डू और हलवे जैसे खाद्य पदार्थ बनाते समय मेवों का इस्तेमाल आवश्यक रूप से किया जाता है। इन्हे कच्चा खाने पर अधिक लाभ होता है और यदि आप इन्हे दूध के साथ लेते हैं तो यह बहुत ही लाभ पहुंचाते हैं।
- तुलसी और करेला: तुलसी और करेले दोनों में ही उचित मात्रा में विटामिन उपस्थित होता है, जिसके नियमित रूप से सेवन करने से स्तन में दूध की मात्रा बढ़ती है। तुलसी का सेवन मल प्रक्रिया को सुधरता है और स्वस्थ खाने की इच्छा को बढ़ावा देता है। तुलसी को सूप या शहद के साथ खाया जा सकता है, या तुलसी का सेवन चाय में डाल कर भी किया जा सकता हैं। करेला के सेवन से महिलाओं में लैक्टेशन की मात्रा संतुलित होती है। करेला बनाते वक्त हल्के मसालों का ही प्रयोग करें ताकि यह आसानी से पच सकें।
- दालचीनी : आयुर्वेद के अनुसार यह माना जाता है कि दालचीनी ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन में महतव्पूर्ण भूमिका अदा करती है। नई मां यदि इसका सेवन नियमित रूप से करती है ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन के साथ साथ इससे ब्रेस्ट मिल्क का स्वाद भी अच्छा होता है, जो बच्चे को भी पसंद आता है। चुटकी भर दालचीनी को आधा चम्मच शहद के साथ मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं। इसे एक कप गर्म दूध में मिलाकर भी पीना लाभकारी होता है। दो महीने तक इस पेय पदार्थ को रात में सोने से पहले पीने से ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन में लाभ होता है।
- मुनक्काः नई माँ को शिशु के जन्म के बाद गाय के दूध में 10-12 मुनक्के उबालकर दिन में तीन बार पिलाने से दूध के निर्माण में अच्छी बृद्धि होती है।
- लहसुन : लहसुन में बहुत से रोगनिवारक गुण उपस्थित होते हैं। यह इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करते हैं साथ ही इसका सेवन दिल की बीमारियों से भी बचाता है। इसके साथ-साथ लहसुन स्तन दूध आपूर्ति को बढ़ाने में भी सहायक माना गया है, परन्तु लहसुन, माँ के दूध के स्वाद और गंध को भी प्रभावित करता है इसलिए इसका उपयोग कम मात्रा में करें।
- तिल के बीज: तिल के बीज कैल्शियम से भरपूर्ण होते हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए कैल्शियम एक जरुरी पोषक तत्व माना जाता है। कैल्शियम आपके शिशु के विकास के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण पोषक तत्व होता है। इसके सेवन के लिए आप तिल के लड्डू बना कर खा सकती हैं या फिर काले तिल को पूरी, खिचड़ी, बिरयानी और दाल के व्यंजनों में डाल कर इसका सेवन कर सकती हैं। गजक और रेवड़ी का सेवन भी लाभकारी होता है क्योकि ये खाद्य पदार्थ सफेद तिल से बने होते हैं।
- पपीताः शिशु को जन्म देने के बाद माँ के शरीर में रक्त की कमी होना आम बात होती है। इस स्थिति में पका हुआ पपीता एक उत्तम औषधि माना जाता है। एक पका हुआ पपीता खाली पेट लगातार 20 दिन तक खाना खाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- गाजरः भोजन के साथ गाजर के रस व कच्चे प्याज के सेवन से भी शिशु की माँ में दूध का निर्माण अधिक होता है। इसके अतिरिक्त गाजर का सेवन शरीर में अधिक खून बनाता है जो माँ के लिए स्वास्थ्य वर्धक होता है|
- मूंगफली: दूध के साथ मूंगफली के सेवन से माताओं के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- माता जब शिशु को स्तनपान करा रही हो तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि वह स्तनपान कराते समय अपने स्तन को बदलते रहे क्योकि ऐसा करने से माँ के शरीर में दूध का उत्पादन बढ़ेगा।
- जन्म के लेने के लगभग एक घंटे के अंदर तक आपके नवजात शिशु में स्तनपान करने की तीव्र इच्छा होती है। इसलिए डॉक्टर्स एडवाइस देते हैं कि जन्म के बाद जितनी जल्दी हो मां को अपने शिशु को दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए। आमतौर पर जन्म के 45 मिनट के अन्दर स्वस्थ बच्चों को माँ द्वारा स्तनपान करवा देना चाहिए।
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