हृदय रोग ऐसी बीमारियों में से एक है जिसके कई कारण और लक्षण हो सकते हैं। जरूरी नहीं है कि हृदय रोग की वजह अस्थमा हो। ऐसा हो सकता है कि यह एक लक्षण या कारण हो लेकिन जरूरी नहीं है।
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हृदय रोग ऐसी बीमारी है जिसके कई रूप हैं जैसे हार्ट अटैक, दिल में छेद, हार्ट फ़ैल, बाल्व में परेशानी होना इत्यादि। हृदय रोगों की कई वजह हो सकती हैं। लेकिन कई लोगों को यह बीमारी बचपन से होती है। कई बार लोग अस्थमा को हृदय रोग का लक्षण समझ बैठते हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि अस्थमा हृदय रोग का कारण या लक्षण हो।
- हृदय रोग होने के कारण:
हृदय रोग होने के कई कारण होना संभव है हृदय रोगों को पहचानने के लिये कई लक्षण होते हैं। इन लक्षणों को पहचान कर आप सचेत हो सकते हैं और अपनी जाँच करवा सकते हैं। हृदय रोगों के लक्षण इस प्रकार होते हैं:
- साँस लेने में तकलीफ होना।
- चक्कर आना।
- कमजोरी महसूस होना।
- अत्यधिक थकान होना।
- आँखों के आगे अंधेरा छाना।
- भूख कम हो जाता और शरीर का फूलना।
- पैरों और जोड़ों में सूजन आना।
- गले में सूजन और दर्द होना।
- अत्यधिक पसीना आना।
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है या ये सभी लक्षण दिखाई देते हैं तो हो सकता है आपको ह्रदय रोग हो। आप इसकी जाँच आवश्यक कराएँ क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है।
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- क्या हृदय रोग जानलेवा होते है? :
सभी हृदय रोगों को जानलेवा कहना गलत होगा। क्योंकि कुछ हृदय रोग आसानी से ठीक भी हो जाते हैं। कुछ हृदय रोगों में सर्जरी की आवश्यकता होती है लेकिन कई बार सर्जरी भी नाकाम हो जाति है। हृदय रोग ऐसी बीमारी है जिसमें कुछ भी कहाँ जाना मुश्किल है लेकिन इसे टालना आसान है।
- हृदय रोगों को नियंत्रित करने के तरीके:
हृदय रोगों को नियंत्रित करने के कई तरीके होते हैं जैसे:
- पानी पीने की मात्रा बढ़ाना:
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पानी अधिक पीने से शरीर के सारे विकार दूर हो जाते हैं इसलिए पानी अधिक पीना चाहिए। कम से कम एक दिन में चार लीटर पानी तो पीना ही चाहिए। इससे कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। इसलिए पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
- फलों का सेवन:
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फलों का सेवन अधिक से अधिक करें इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में रक्त मिलेगा और जरूरी मिनरल एवं पोषक तत्व मिलेंगे। इसलिए फलों का सेवन अधिक करना चाहिए। इसके साथ ही फलों का सेवन शाम 5 बजे के बाद नहीं करें।
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- प्राणायाम:
हृदय रोग से पीड़ित मरीजों के लिये प्राणायाम बहुत ही चमत्कारिक इलाज है। इसलिए कहा जाता है कि हृदय रोग वालो को और हृदय रोग से बचने के लिये प्राणायाम करना चाहिय। प्राणायाम योग का ही एक प्रकार है लेकिन इसमें आपको शरीर व्यायाम ज्यादा अधिक नहीं करना होता अपनी सांसों पर नियंत्रण करना होता है। इससे कई प्रकार की बिमारियों को दूर किया जाना संभव है।
- हरी सब्जियाँ:
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हरी सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में आयरन और फोलिक एसिड पाया जाता है। इसलिए हरी सब्जियाँ खाने से हृदय रोग होने की सम्भावना कम हो जाती है। हरी सब्जियाँ खाने से कई प्रकार की और भी बिमारियों से बचा जा सकता है।
- मोटापे को करें नियंत्रित:
हृदय रोगों से बचने के लिये मोटापे को नियंत्रित करना बहुत ही आवश्यक है। अगर मोटापा नियंत्रित कर लिया जाये तो हृदय रोगों पर कई हद तक मोटापे को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये आप कई प्रकार के उपाय कर सकते हैं जैसे खाने पर नियंत्रण, व्यायाम, ज्यादा से ज्यादा पानी पीना, टहलना इत्यादि।
- तम्बाकू का सेवन नहीं करें:
तम्बाकू खाना सेहत के लिये बहुत नुकसानदायक होता है इसलिए तम्बाकू नहीं खाना चाहिए। हृदय रोग और कैंसर जैसे रोग तम्बाकू खाने से होते हैं। इसलिए अगर आप इन बीनारियों से बचना चाहते हैं तो तम्बाकू से दूरी बना लें।
- शराब से दूर रहें:
शराब पीना भी सेहत के लिये हानिकारक होता है। शराब पीने से किडनी पर बुरा असर पड़ता है और किडनी पर असर होने से हृदय पर भी असर पड़ता है। इसलिए शराब से दूर रहें जिससे आप हृदय रोग से बच्चे सके।
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- धूम्रपान से बचें:
हृदय रोग से बचने के लिये धूम्रपान से भी बचें। धूम्रपान से फेफड़े ख़राब होते हैं। फेफड़े ख़राब होने की वजह से हृदय पर असर पड़ता है और हृदय रोग होने कि सम्भावना बड़ जाती है। इसलिए धूम्रपान से बचें।
- क्या हृदय रोग का लक्षण है अस्थमा:
साँस लेने में तकलीफ होना हृदय रोग का लक्षण हो सकता है। छ हद तक अस्थमा भी हृदय रोग का लक्षण होता है लेकिन हमेशा यह कहना गलत होगा। जब किसी को हृदय रोग होता है तो वह ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता क्योंकि उसके हृदय तक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुँचती।
कई वजह होती हैं हृदय रोगों की। जैसा कि हमने यहाँ देखा अगर इन कारणों को समझ कर इनसे दूरी बनाई जाये तो आसानी से हृदय रोगों से बचा जा सकता है।