गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त वजन को बढ़ने से कैसे रोकें :

by Dr. Himani Singh
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प्रत्येक महिला के शरीर में हर उम्र में बदलाव आते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा शारीरिक  परिवर्तन का अनुभव हर महिला को अपनी गर्भावस्था के दौरान होता है। प्रत्येक महिला के लिए गर्भावस्था मातृत्व की ओर एक पहला कदम होता है। गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में शिशु के बढ़ने के कारण अन्य शारीरिक परिवर्तन के साथ साथ आपके वजन में  भी बढ़ोतरी होती है।  वैसे तो देखा जाये तो गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना सामान्य है क्योंकि आपके शरीर में आपके शिशु का भी धीरे धीरे विकास हो रहा होता है। विशेषज्ञों की माने तो उनके अनुसार सिर्फ शिशु के विकास के कारण आपका वजन नहीं बढ़ता बल्कि  इस  दौरान आपका शरीर एक अतिरिक्त ऊतक विकसित कर रहा होता है, जिसमें बड़े स्तन गर्भाशय का बढ़ना, प्लेसेंटा, अतिरिक्त तरल पदार्थ और रक्त शामिल होते हैं।

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हालांकि  गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक खान पान जरुरी होता है क्योकि आपके शरीर द्वारा ही जरुरी पौष्टिक खाद्य पदार्थ आपके शिशु के शरीर में पहुंचते हैं, परन्तु गर्भावस्था में यह बाद ध्यान रखना बहुत जरुरी हो जाता है कि  जो आप खा रहें वह पौष्टिक हो क्योकि ऐसे समय में महिलाओं को बहुत चटपटा और कई बार विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने का मन करता है जो आपके शिशु के स्वास्थ्य के साथ साथ आपके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। कई बार अधिक और बार- बार  खाने की वजह से भी महिलाओं का वजन गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाता है, जिसको  गर्भावस्था के  बाद भी कई बार नियंत्रित्र करना मुश्किल हो जाता है। कुछ महिलाएं  गर्भावस्था से पहले ही मोटी होती हैं, ऐसे में वजन को इस दौरान नियंत्रित्र करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। गर्भावस्था में वजन बढ़ना कोई बढ़ी  बात नहीं होती है क्योकि इस अवस्था में आपके शरीर में एक और जान पल रही होती है।  आपके खान पान द्वारा ही उचित मात्रा में पोषण आपके शिशु के शरीर में पहुँचता है, परन्तु  अधिकता किसी भी चीज की अच्छी नहीं मानी गयी है।

गर्भावस्था के दौरान अधिक  वजन बढ़ने से क्या हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं:

गर्भावस्था के दौरान सही मात्रा में वजन का बढ़ना आवश्यक माना जाता है क्योकि सही मात्रा में बढ़ा हुआ आपका वजन  आपके स्वास्थ्य और आपके बच्चे के स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद करता है। यदि  गर्भावस्था के दौरान  आपका वजन बहुत कम होता है तो ऐसे में आप अन्य महिलाओं की तुलना में समय से पहले या बहुत कम वजन वाले शिशु को  जन्म दे सकती हैं। गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले यदि आप अपने शिशु को जन्म देती हैं तो ऐसे में  आपके शिशु का वजन कम होने की पूरी सम्भावना होती है। कम वजन  का मतलब यदि आपका  शिशु  5 पाउंड, 8 औंस  (2 kg 268 g ) से कम वजन का पैदा हुआ है तो आपका शिशु कमजोर शिशु की श्रेणी में  आता है। समय से पहले या अधिक वजन वाले बच्चों में जन्म के समय और बाद में स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था के समय माँ के मोटे होने का मतलब है कि आपके शरीर में वसा की मात्रा बहुत अधिक है और  महिला के गर्भावस्था के समय बहुत अधिक मोटे  होने के कारण  बहुत सी परेशानियां हो सकती हैं जैसे कि:

  • प्रसव के दौरान समस्याएं और शिशु जन्म के बाद भारी रक्तस्राव।
  • सिजेरियन  द्वारा शिशु का  जन्म। 
  • शिशु के  जन्म के बाद वजन कम करने में परेशानी।
  • अधिक मोटापा होने की वजह से गर्भावस्था के समय उच्च रक्तचाप, प्रीक्लेम्पसिया और रक्त के थक्के जमने जैसी समस्याएं हो सकती है। उच्च रक्तचाप तब होता है जब रक्त वाहिकाओं की दीवारों में  रक्त का प्रवाह  बहुत अधिक हो जाता है। प्रीक्लेम्पसिया एक ऐसी स्थिति है जो गर्भावस्था के 20 वें सप्ताह के बाद या गर्भावस्था के ठीक बाद उत्पन्न  हो सकती है, इस अवस्था में गर्भवती महिला को उच्च रक्तचाप होने पर उसको संकेत मिलता है कि उसके कुछ अंग, जैसे किडनी और लीवर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। थक्के की समस्याएं तब होती हैं जब रक्त के थक्के आंशिक रूप से या पूरी तरह से रक्त वाहिका में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करते हैं।
  • गर्भावस्था के समय जैस्टेशनल डायबिटीज की समस्या हो सकती है, यह एक तरह का मधुमेह है जो कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होता है। मधुमेह तब होता है जब आपके शरीर में रक्त में बहुत अधिक चीनी (जिसे ग्लूकोज कहा जाता है) होता है।
  • सिजेरियन जन्म (जिसे सी-सेक्शन भी कहा जाता है)। यह सर्जरी है जिसमें आपका बच्चा एक कट के माध्यम से पैदा होता है इस प्रकिर्या में आपका डॉक्टर आपके पेट और गर्भाशय (गर्भ) में एक कट लगाता है जिसके द्वारा आपका शिशु बाहर आता है । यदि आप अधिक  मोटे हैं, तो आपको संक्रमण या बहुत अधिक रक्त निकलने समस्याएं भी  सी-सेक्शन  के दौरान हो सकती हैं।
  • गर्भवती के अधिक मोटे होने पर गर्भपात या स्टिलबर्थ की समस्या भी हो सकती है। गर्भपात तब होता है जब गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले गर्भ में बच्चे की मृत्यु हो जाती है। स्टिलबर्थ वह है जब गर्भावस्था के 20 सप्ताह बाद गर्भ में बच्चे की मृत्यु हो जाती है।
  • यदि आप  अधिक मोटे हैं, तो आपको गर्भावस्था के दौरान यूरिनरी इन्फेक्शन होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • आपका अधिक मोटापा आपके शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स बढ़ाने का भी कारण बन सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान अधिक मोटे होने पर आपको  नींद विकार जिसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहा जाता है, होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान आप का वजन अधिक है,  यह आपके जन्म लेने वाले शिशु के लिए भी बहुत ही हानिकारक हो सकता है,

जैसे कि आपके  शिशु की समयपूर्व प्रसव (37 सप्ताह के पहले) की सम्भावना हो सकती है , जन्म  के समय  शिशु का वजन अधिक हो सकता है ,मृत बच्चे का जन्म भी हो सकता है , शिशु को दुर्लभ जन्मजात  बीमारियां भी हो सकती है,क्रौनिक कंडीशंस जो मस्तिष्क, स्पाइनल कार्ड, हृदय से संबंधित होती हैं, का खतरा  आपके शिशु को हो सकता है या फिर आगे चल कर आपके शिशु को डायबिटीज होने की सम्भावना भी हो सकती है।

गर्भावस्था के दौरान कितना वजन  बढ़ना चाहिए ?

गर्भावस्था के दौरान सही वजन होना आपकी और आपके शिशु की सेहत को सही रखने में मदद करता है।  इसीलिए, इस अवस्था में यह बहुत जरूरी होता है कि आप अपना वजन नियंत्रित रखें। गर्भावस्था में डॉक्टर एक निश्चित वजन बनाए रखने की आपको सलाह देते हैं। गर्भधारण के समय आपका वजन कितना होना चाहिए , यह आपके गर्भधारण करने से पहले आपके  बॉडी मास इंडेक्स पर निर्भर करता है।

आइये जानते है गर्भधारण के समय आपके  बॉडी मास इंडेक्स के हिसाब से आपका वजन कितना होना चाहिए ।

 गर्भावस्था  के समय आपका वजन कुछ इस प्रकार होना चाहिए:

बॉडी मास इंडेक्स(BMI)     श्रेणी                                       कितना वजन बढ़ाएं

<18.5                           कम वजन                       13-18 किलो

18.5 – 24.9                   सामान्य  वजन                11-16 किलो

25 – 29.9                       अधिक  वजन                  7-11 किलो

>30                              बहुत अधिक  मोटाप     5-9 किलो

अगर  आप  जुड़वां बच्चों को जन्म देने जा रही है तो, आपका वजन कुछ इस प्रकार होना चाहिए:

बॉडी मास इंडेक्स(BMI)      श्रेणी                                  कितना वजन बढ़ाएं

<18.5                                कम वजन                           22-27 किलो

18.5 – 24.9                       सामान्य वजन                     16-24 किलो

25 – 29.9                         अधिक  वजन                        14-22 किलो

>30                             बहुत अधिक मोटापा                   11-18 किलो

गर्भावस्था के दौरान  विभिन्न तिमाही के अनुसार कितना वजन बढ़ना चाहिए :

गर्भावस्था को 3 तिमाही में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक तिमाही की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं। इसलिए प्रत्येक तिमाही में अलग-अलग प्रकार से वजन बढ़ता है। गर्भावस्था की  विभिन्न तिमाही में वजन किस प्रकार बढ़ना ठीक होता है।

पहली तिमाही :

यह आपकी गर्भावस्था का प्रारंभिक चरण होता  है और  गर्भावस्था की इस अवधि में वजन न के बराबर बढ़ना चाहिए। इस दौरान भ्रूण अधिक छोटा होता है इसलिए इस अवस्था में आपका वजन सामान्य से अधिक बढ़ने की सम्भावना नहीं होती  है। परन्तु इस अवस्था  में आपको अपने आहार  में थोड़ी मात्रा में  पोषण तत्वों को शामिल करने की जरुरत होती है क्योंकि आपके शिशु के पोषण के लिए 0.5-2.5 किलोग्राम पर्याप्त होता है। यदि  कोई महिला ऐसे में मॉर्निंग सिकनेस से अधिक  पीड़ित हैं, तो हो सकता है कि उनका  वजन बिलकुल भी न बढ़े।  यदि गर्भावस्था की शुरुआत में आपका  वजन थोड़ा कम भी हो रहा है तो चिंता न करें, क्योंकि आप अपनी दूसरी तिमाही में अपना वजन बढ़ा सकती हैं।

दूसरी तिमाही:

आपके सामान्य वजन से इस तिमाही में आपका अतिरिक्त कुल 6 किलोग्राम वजन बढ़ना चाहिए। क्योकि जैसे-जैसे शिशु बढ़ना शुरू होता है, आपको अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इसलिए आपका वजन भी बढ़ना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

तीसरी तिमाही:

यह  गर्भावस्था की अंतिम तिमाही होती है, इस तिमाही में आपको भोजन पचाने में कठिनाई हो सकती है। जिसके चलते आपको कम खाने का भी मन कर सकता है और ऐसे में आप अपना वजन कुछ कम भी कर सकते हैं। अनुमानता इस तिमाही में आपका वजन 500 ग्राम -1 किलोग्राम प्रति सप्ताह बढ़ सकता है। 

गर्भावस्था में वजन कहांकहां बढ़ता है:

गर्भावस्था के दौरान जैसे जैसे गर्भ में पल रहे भ्रूण का विकास होता है, आपका वजन बढ़ता जाता है। गर्भावस्था के दौरान केवल आपके शरीर में भ्रूण ही  नहीं, बल्कि और भी  दूसरे अंग बढ़ते हैं, जिनके कारण आपके पूरे शरीर का वजन बढ़ जाता है। जानते हैं कि गर्भावस्था में शरीर  में वजन का वितरण किस प्रकार होता है।

शिशु                                   3.5 किलो

प्लेसेंटा                              1-1.5 किलो

एमनियोटिक फ्लूड             1-1.5 किलो

स्तन टिश्यू                         1-1.5 किलो

रक्त संचार                         2 किलो

फैट                                     2.5-4 किलो

गर्भाशय                              1-2.5 किलो

गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त वजन को बढ़ने  से रोकने के लिए किन बातों का ध्यान रखें  :

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गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक बढ़ता वजन अनेकों प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, ऐसे में अपने वजन को नियंत्रित रखने का प्रयास करना चाहिए।  गर्भावस्था के दौरान डाइटिंग करने की सलाह डॉक्टर्स बिलकुल भी नहीं देते हैं क्योकि  इस अवस्था  में  कम कैलोरी वाली या क्रेश डाइट आपको अस्वस्थ बना सकती हैं और इसका असर आपके शिशु पर भी पड़ सकता है। अपना आहार सीमित करने से आपको गर्भावस्था के लिए जरुरी पोषक तत्व जैसे कि आयरन और फॉलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाएंगे। इससे आपको और शिशु दोनों को स्वास्थ्य  नुकसान पहुंच सकता है। जानते है किन उपायों को अपना कर आप गर्भावस्था में अपने वजन को नियंत्रित रख  सकते हैं। 

  • प्रारंभिक अवस्था में  पौष्टिक भोजन के साथ अपना स्वस्थ वजन बनाए रखने का प्रयास करें। इसके लिए यह आवशयक है कि आप अपने शरीर की कैलोरी की जरूरतों को समझें।  गर्भावस्था से पहले सामान्य वजन वाली महिलाओं को गर्भावस्था के  दूसरे तथा तीसरे तिमाही में औसतन 300 अतिरक्त कैलोरीज की आवश्यकता होती है। अतः इस अवस्था में सामान्य  वजन वाली महिलाओं को रोजाना 1900 से 2500 तक कैलोरीज का सेवन जरूर करना चाहिए। रोजाना निर्देशित कैलोरी से अधिक मात्रा का सेवन आपको  अतिरक्त वजन बढ़ाने के लिए उतरदाई हो सकता है, वजन बढ़ना इस बात पर निर्भर करता है कि एक गर्भवती महिला कितनी कैलोरी का सेवन करती है। यदि आपके गर्भ में जुड़वा या अधिक शिशु हैं तो अपने कैलोरी की जरूरतों के लिए डाक्टर से बात कीजिये, गर्भ में एक सा ज्यादा शिशु होने पर आपको और ज्यादा कैलोरीज की जरुरत होती है।
  • कोल्ड-ड्रिंक्स, तले हुए खाद्य पदार्थ, मिठाइयाँ, डेरी-पदार्थ जैसे चीस, मलाईयुक्त दूध, चिकनाई युक्त मांस, इत्यादि खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें, इन खाद्य पदार्थों में अधिक वसा होने के कारण आपका वजन बढ़ सकता है। मीठे सोडायुक्त पेयों की बजाय सेहतमंद पेय  पदार्थों का चुनाव करें जैसे की लस्सी, ताजे फलों के जूस आदि। 
  • एक ही बार में बहुत अधिक मात्रा में भोजन करने से बचें, आप थोड़े थोड़े  समय अंतराल पर थोड़ा थोड़ा खाने का प्रयास करें। स्वस्थ गर्भावस्था आहार आपके शरीर के लिए अच्छा माना जाता है, अपने आहार में  प्रोटीन, विटामिन, आयरन और अन्य प्रभावशाली पोषक तत्व को शामिल करें। अपने कैलोरी के सेवन में स्थिरता बनाए रखने के लिए हर 3 घंटे में कुछ न कुछ थोड़ा सा  पौष्टिक अवश्य  खाएं। गर्भावस्था में भोजन से घृणा, मतली, गले में  जलन और अपच के कारण एक साथ  पूरा भोजन न कर पाना बहुत ही आम होता है। ऐसे में  दिन में कम से कम पांच से छः बार कम मात्रा में भोजन करने से उसे पचाना आसान हो जाता है साथ  ही ऐसा करने से बढ़ते हुए  शिशु  के पाचन अंगों कम दबाव भी पड़ता है।
  • डिहाइड्रेशन  से बचें , क्योंकि यह भोजन को पचाने व मल त्यागने  में असुविधाएं प्रकट कर सकता है। अधिक पानी पीने से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ निकलते हैं और मॉर्निंग सिकनेस को कम करने में भी बहुत  मदद मिलती है।
  • आप गर्भावस्था एक्सरइसाइज क्लास भी जा सकती हैं, जैसे कि प्रसवपूर्व योग, पिलाटे या एक्वानेटक क्लास आदि का भी चुनाव कर सकती हैं। ऐसे में आप अपनी जैसी अन्य मांओं से भी मिल पाएंगी जिससे आपको व्यायाम करने का प्रोत्साहन भी मिलेगा।
  • दिन में अधिक से अधिक क्रियाशील रहने का प्रयास करें जैसे की लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, छोटी वॉक पर  जरूर जाएं आदि।
  • गर्भावस्था के दौरान अनेकों प्रकार के खाद्य पदार्थ  खाने की  तीव्र इच्छा होती है  जो कि प्राकृतिक है,  मीठा खाने की अपनी तीव्र इच्छा  भी बहुत ही प्राकृतिक होती है, ऐसे में किसी ऐसे पौष्टिक विकल्प को ढूढें जो आपके शारीरिक पोषण के साथ साथ आपकी इच्छा की भी  पूर्ति करें। 
  • नार्मल ब्रेड, पास्ता आदि में  मौजूद सरल शर्करा आपके लिए हानिकारक हो सकती हैं अतः गर्भावस्था में इनको खाने से परहेज करना चाहिए , वहीं ब्राउन राइस, साबुत अनाज की ब्रेड या साबुत अनाज का पास्ता जैसे काम्प्लेक्स में मौजूद कार्बोहाइड्रेट आपके लिए लाभकारी  हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त  इन खाद्य पदार्थों के सेवन से आपको  लंबे समय तक भूख भी नहीं लगती है। यह खाद्य पदार्थ मॉर्निंग सिकनेस से भी बचने में आपकी मदद करते हैं।
  • कैलोरीरहित जंक-फ़ूड खाने से बचें क्योकि इनके सेवन से न  सिर्फ आपका अनावश्यक वजन बढ़ेगा बल्कि इससे आपके बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व भी नहीं मिल पाएंगे।