आयुर्वेद में हर प्रकार के दर्द के लिए घरेलु उपचार हैं। एवं यहाँ आज हम देखेंगे कान के दर्द के लिए आयुर्वेदिक औषधि। कान का दर्द बहुत ही कष्टदायक होता है एवं कान के दर्द होने पर गले, सर और जुवान में भी दर्द होने की सम्भावना होती है। इसलिए इसका इलाज करवाना आवश्यक होता है। कान दर्द के कई कारण होते हैं जैसे: कान में पानी चले जाना या कान बहना या फिर किसी चोट के कारण इत्यादि। अगर कान में चोट है एवं कान के परदे से रक्त प्रवाह हो रहा है तो उस समय यह उपचार न करें, इसके लिए किसी चिकित्सक की सलाह लें। लेकिन अगर कान दर्द बहने या फिर पानी चले जाने के कारण है तो उस दौरान यह आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट आप अपना सकते हैं।
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मरुआ:
यह जंगली तुलसी के नाम से पहचानी जाती है एवं इसके अनेक फायदे हैं। पेट दर्द हो या कान दर्द यह सबमें उपयोगी है। एवं इससे घर में कीड़े मकोड़े भी नहीं आते। मरुआ की पत्तियों का रस कान में डालने से कान का दर्द झट से ठीक हो जाता है एवं कान में हो रही गंदगी भी तुरंत निकल जाती है।
सरसों के तेल में लहसुन:
सरसों के तेल में लहसुन की 2-3 कलि डाल दें और लहसुन की कलि काली होने तक तेल गरम करें। फिर उसे हल्का गुनगुना होने दें। ध्यान रखें की तेल गरम न हो, बहुत ही कम गरम हो और उस गुनगुने तेल को रुई के फाहे में लें एवं कुछ बूदें कान में डाल दें। इससे कुछ ही देर में कान का दर्द नष्ट हो जाया है। कान दर्द को ठीक करने की यह दादी और नानी के ज़माने की आयुर्वेदिक औषधि हैं।
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सरसों के तेल में अदरक और तुलसी:
सरसों के तेल में अदरक और तुलसी मिलायें एवं इसे पका लें। ध्यान रखें तुलसी और अदरक काले हो जाना चाहिए। इस तेल को ठंडा होने दें जब ये गुनगुना रह जाये तो इस तेल की कुछ बूदें कान में रुई के फाहे की सहायता से डालें। लेकिन साबधानी रखें की तेल गरम न रहे। इससे बहुत ही जल्दी कान के दर्द में आराम मिलता है। यह कान दर्द के लिए एक उत्तम आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट है।
ये सभी आयुर्वेदिक औषधि कान दर्द के लिए लाभकारी हैं। एवं यह बच्चों के लिए भी लाभदायक हैं लेकिन साबधानी से इनका प्रयोग करें क्योंकि बच्चों के कान नाजुक होते हैं।